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सिर्फ स्लीपर कोच, ज्यादा किराया…लॉकडाउन के बाद ट्रेन चलाने के ये हैं प्रस्ताव

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कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया में तबाही मचा रखा है. मोदी सरकार ने इस जानलेवा वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन कर रखा है. इसके चलते ट्रेन, मेट्रो, फ्लाइट और सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद हैं. यह लॉकडाउन 3 मई तक चलेगा. इस बीच रेलवे ने लॉकडाउन के बाद कुछ स्पेशल ट्रेन चलाने के फॉर्मूले पर विचार कर रही है.

सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरुआत में कुछ स्पेशल पैसेंजर ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव है. ये ट्रेनें ग्रीन जोन में चलाई जाएंगी और सिर्फ इमरजेंसी में ही लोगों को यात्रा करने की इजाजत होगी. हालांकि कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट इलाके में कोई यात्री ट्रेन नहीं चलाई जाएगी.

इन स्पेशल ट्रेनों का किराया भी काफी ज्यादा रखा जाएगा, ताकि लोग सिर्फ इमरजेंसी में ही यात्रा करें. इससे पहले रेलवे सीनियर सिटीजन, दिव्यांगों और छात्रों समेत अन्य को किराए में मिलने वाली रियायत को बंद कर चुका है. रेलवे की कोशिश है कि जब तक कोरोना वायरस पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता है, तब तक कम से कम लोग ही यात्रा करें.

प्रस्ताव के मुताबिक शुरुआत में सिर्फ स्लीपर ट्रेनें ही चलाई जा सकती हैं. एसी कोच और जनरल कोच वाली ट्रेनें नहीं चलाई जाएंगी. इन ट्रेनों से मिडिल बर्थ को भी हटा दिया गया है. जिन लोगों का टिकट कंफर्म होगा, वो लोग ही यात्रा कर पाएंगे. टिकट कंफर्म नहीं होने पर यात्रा करने की इजाजत नहीं होगी. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा. रेलवे ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए पांच हजार आइसोलेशन बेड भी बनाए हैं.

वहीं, लॉकडाउन के दौरान सभी यात्री ट्रेनों के आवागमन ठप होने के बावजूद रेलवे ने आवश्यक वस्तुओं के परिवहन से करोड़ों रुपये की कमाई की है. रेलवे लॉकडाउन में स्पेशल पार्सल ट्रेनें चला रहा, ताकि रोजमर्जा की आवश्यकताओं को आसानी से पूरा किया जा सके. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक स्पेशल पार्सल वैन को ई-कॉमर्स संस्थाओं और राज्य सरकारों सहित अन्य ग्राहकों द्वारा बड़े पैमाने पर परिवहन के लिए उपलब्ध कराया गया था.

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