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लॉकडाउन खुलने के बाद भी आसान नहीं होगी दृष्टिबाधितों की जिंदगी

सार

सतहों को स्पर्श करने से कोरोना वायरस के संक्रमण का सता रहा डर

उनको है संदेह, सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लोग मदद करेंगे की नहीं

विस्तार

कोविड-19 से जंग में सबसे बड़ा मंत्र सोशल डिस्टेंसिंग का असर सबसे ज्यादा दृष्टिबाधित लोगों पर पड़ रहा है। उन्हें डर है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनकी जीवनचर्या में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और उनकी जिंदगी और मुश्किल भरी होने जा रही है। घर के भीतर और बाहर ज्यादातर दूसरों पर निर्भर रहने वाले इन लोगों के सामने दोहरी समस्या खड़ी होने वाली है।
दिल्ली के दृष्टिबाधित विद्यालय में कार्यरत अमीना का कहना है कि कुदरत की इस मार का असर उन जैसे कई लोगों पर ज्यादा पड़ा है। अब उन्हें डर है कि कहीं सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लोग उन जैसों की मदद करेंगे कि नहीं। इसके अलावा हम जैसे लोगों के लिए तो कोरोना संक्रमण होने का खतरा बहुत ज्यादा है क्योंकि अक्सर हम चीजों की सतह व मनुष्य को छूकर उसका अहसास करते हैं।
लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर दस्ताने पहनेंगे तो इससे स्पर्श करने की समझ कमजोर होगी। दरअसल वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि कि इंसान से इंसान के बीच आपसी संपर्क के अलावा कोरोना वायरस सतह को छूने से भी फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस में कुछ सतहों पर कुछ घंटों या कई दिनों तक रहने की क्षमता होती है। अमीना की तरह ही दृष्टिबाधित छात्र सौरभ जैन को इस बात की चिंता है कि ‘कोरोना वायरस के साथ जीना’ उनके लिए कैसा होगा? उन्होंने बताया कि मेरे हाथ ही मेरी आंखें हैं और मुझे डर है कि जब मैं बाहर जाऊंगा तो लोग पहले की तरह मेरी मदद नहीं करेंगे। हर किसी को अपनी जान का खतरा है और जाहिर तौर पर किसी अजनबी दृष्टिबाधित का हाथ पकड़ना उनके लिए सहज नहीं होगा। कोरोना वायरस लोगों से भेदभाव नहीं करता लेकिन इसने निश्चित तौर पर दूसरों के मुकाबले हमें ज्यादा कमजोर बना दिया है। हमारे लिए जिंदगी और कठिन होने जा रही है।

2017 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की एक तिहाई दृष्टिबाधित लोग भारत में रह रहे हैं। दुनियभर में इनकी संख्या जहां 3.9 करोड़ थी वहीं, भारत में इनकी संख्या 1.2 करोड़ थी। दृष्टिहीन लोगों के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने उनसे बाहर निकलते वक्त अत्यधिक एहतियात बरतने की सलाह दी है।

ब्लाइंड वेलफेयर सोसायटी के सदस्य धीरज भोला ने कहा कि जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो दृष्टिहीन लोग बाहर निकलेंगे लेकिन उन्हें दस्तानों के जरिये अपनी सुरक्षा करने की जरूरत होगी चाहे इससे उनकी स्पर्श को समझने की शक्ति कमजोर ही क्यों न हो। हम लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह भी दे रहे हैं और ज्यादातर सामान घर पर ही मंगवाने की सलाह दे रहे हैं।

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