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TDS और TCS के बीच न हों कन्‍फ्यूज, जानें क्‍या हैं इनके बीच अंतर

कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा हाल ही में पेश किए गए राहत पैकेज में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) की दरों में 25 प्रतिशत की कटौती करने का ऐलान किया गया है। यह छूट संपूर्ण वित्‍त वर्ष 2020-21 में प्रदान की जाएगी। बहुत से लोग अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि टीडीएस और टीसीएस की दर घटने से उन्‍हें क्‍या फायदा होगा। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि राहत पैकेजे में टीडीएस और टीसीएस से जुड़ी क्‍या घोषणा की गई है और इससे आपको क्‍या फायदा होगा।

क्या होता है TDS?

जब भी कोई भुगतान किया जाता है तब उस भुगतान पर टीडीएस काटा जाता है। वेतनभोगियों के लिए टीडीएस उनकी कर योग्‍य आय के आधर पर काटा जाता है। वहीं गैर-वेतन वाले भुगतान पर टीडीएस 10 प्रतिशत की दर से काटा जाता है। वेतन, बैंक जमा पर ब्‍याज, निवेश से आय, पेशेवर शुल्‍क, कमीशन या स्‍टॉक मार्केट में निवेश पर ब्रोकरेज आय आदि सभी पर टीडीएस काटा जाता है।

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हालांकि वित्‍त मंत्री ने अपने राहत पैकेज में स्‍पष्‍ट किया है कि टीडीएस व टीसीएस की दर में 25 प्रतिशत की छूट केवल गैर-वेतन वाले भुगतान के लिए है।  

क्या होता है TCS?

किसी भी लेनदेन के समय जब भुगतान लिया जाता है तो विक्रेता वस्‍तु व उत्‍पाद की कीमत में टैक्‍स जोड़कर ग्राहक से पैसा वसूल करता है। इसे कहते हैं स्रोत पर कर संग्रह। इस कर की राशि को बाद में विक्रेता द्वारा आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है। वेंडर, विक्रेता या दुकानदार टीसीएस वसूलते हैं, जैसे स्‍वर्ण आभू‍षण विक्रेता।   

इनकम टैक्स नियम के तहत हर कंपनी के लिए भुगतान पर TDS काटने और उसे आयकर विभाग के पास जमा कराना अनिवार्य होता है। आपके वेतन और सालाना निवेश की जानकारी के आधार पर कंपनियां कर्मचारियों के मासिक वेतन से टीडीएस काटकर आककर विभाग के पास जमा कराती हैं।

उदाहरण से समझें

TDS: इसे स्रोत पर कर कटौती कहते हैं। मान लीजिए आप किसी को अपनी सेवा देते हैं और उसके बदले कुछ भुगतान प्राप्‍त करते हैं। ऐसे में भुगतान करने वाला व्‍यक्ति आपको दिए जाने वाले कुल भुगतान में से 10 प्रतिशत राशि काटकर शेष भुगतान करता है। इस 10 प्रतिशत राशि को ही टीडीएस कहते हैं, जिसे आयकर विभाग के पास जमा कराया जाता है। वित्‍त वर्ष के अंत में जब आप अपना वार्षिक आयकर रिटर्न फाइल करते हैं तो उसमें उक्‍त काटे गए टीडीएस का उल्‍लेख होता है। यदि आपने अपनी आय से अधिक टैक्‍स दिया है तो आप रिफंड का दावा कर सकते हैं। टीडीएस वेतन, कॉन्‍ट्रैक्‍ट, रेंट, प्रोफेशनल्‍स फीस आदि पर लागू होता है।

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TCS: वो टैक्स जो सोर्स से कलेक्ट किया जाता है। विक्रेता द्वारा इसे उत्‍पाद की कुल कीमत पर एक निश्चित दर से वसूला जाता है। टीसीएस शराब, तेंदू पत्‍ता, लकड़ी, स्‍क्रैप, वाहन और स्‍वर्ण आभूषण पर लगता है। इस कर को विक्रेता द्वारा वसूलकर आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है और बाद में वार्षिक रिटर्न भरकर उसका समायोजन किया जाता है।

क्‍या होगा फायदा

वित्‍त मंत्री द्वारा टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 प्रतिशत कटौती करने से अब लोगों के पास अतिरिक्‍त पैसा होगा। अभी तक टीडीएस जो 10  प्रतिशत की दर से कटता था, वो अब 7.5 प्रतिशत की दर से कटेगा। इसी प्रकार टीसीएस भी अलग-अलग उत्‍पादों व सेवाओं पर अलग-अलग दर से लगता था, वो भी अब कम दर से लगेगा, ऐसे में ग्राहकों को टैक्‍स के रूप में कम भुगतान करना होगा, यानी उत्‍पाद सस्‍ते मिलेंगे।

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