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कोरोना महामारी में घर खरीदारी? रेडी-टू-मूव-इन प्रॉपर्टी बन रही बेस्ट च्वाइस

कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के दौर में रीयल एस्टेट (Real State) में निवेश का फैसला काफी सूझबूझ के साथ करना पड़ेगा. इसमें यह ध्यान रखना होगा कि मकान खरीदने का फैसला जोखिमपूर्ण न हो. दरअसल, जब भी हम कम जोखिम वाले एसेट की बात करते हैं, तो उसमें निश्चित रूप से रीयल एस्टेट एक है. मौजूदा हालात में देखें तो जिसके पास मकान है उसके लिए यह निवेश एक सेफ हैवेन यानी सुरक्षित रूप से एसेट का काम कर रहा है. मौजूदा दौर में जब भी हम प्रॉपर्टी में निवेश की बात करते हैं तो इसके लिए पर्याप्त रिसर्च जरूरी है. इसके लिए आप किसी भरोसेमंद एडवाइजर से परामर्श करें और तब लंबी अवधि के नजरिए से रीयल्टी में निवेश का फैसला करें.

कोविड19 के इस दौर में सप्लाई चेन बाधित होने, लेबर नहीं मिलने और कैश की किल्लत के चलते देश में अधिकांश रीयल्टी प्रोजेक्ट ठप हो गए हैं. ऐसे में खरीदार भी इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि कहां पैसे लगाया जाए जिससे कि उनका निवेश जोखिम रहित हो. ग्राहक के व्यवहार को लेकर जिस तरह का बदलाव है उसमें यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उन्हें पूरा भरोसा हो सके. सरकार ने डेवपलर्स को मदद देने के लिए रेरा के तहत आने वाले प्रोजेक्ट की कम्प्लीशन तारीख में छह माह की छूट दे दी है. लेकिन, क्या इससे ग्राहकों को यह फैसला लेने में मदद मिलेगी कि उन्हें कहां निवेश ​करना चाहिए और क्या यह निवेश का सही समय है?

अगली दो तिमाही रहेगी अनिश्चितता!

मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लगता है कि अगली दो तिमाही तक​ अनिश्चितता बनी रह सकती है. इस दौरान भविष्य में रीयल्टी में निवेश को लेकर गंभीर बायर भी फैसला लेने पर विचार कर रहे हैं. इसके अलावा वे इस दौर को छूट और स्कीम का फायदा उठाने और बेहतर मोलभाव के अवसर के रूप में भी देख रहे हैं.

महामारी और लॉकडाउन के बीच दो बड़े ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं. एक, कंडोनमिनिमम लिंविंग- भारतीय होम बॉयर के लिए यह नया कॉन्सेप्ट र्ह, और दूसरा रेडी टू मूव इन या पूरा होने के नजदीक प्रॉपर्टी के लिए बढ़ती डिमांड है. इनमें रिस्क यानी जोखिम है. ऐसे प्रॉपटी के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो जाएगा और पजेशन भी मिल जाएगा. इसमें भी रेडी टू मूव इन में लोगों का रूझान काफी अधिक है. इसकी बड़ी वजह अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में होने वाली लंबी देरी है. रीसेल प्रॉपर्टी पर कोई जीएसटी नहीं देना पड़ता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान रेडी टू मूव मकानों की डिमांड में जोरदार उछाल देखने को मिला और इंडस्ट्री को इसमें लगातार तेजी दिखाई दे रही है.

इमोशनल निर्णय भी है मकान खरीदारी

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में जो पहली बार निवेश करता है, आमतौर पर वह रेडी टू मूव इन मकान पैसे बनाने के मकसद से नहीं खरीदता है. बल्कि इस फैसले से उसकी भावना जुड़ी रहती है. उसमें वह अपनों का भविष्य, बुजुर्ग मां-बाप और अपनी अगली पीढ़ी का भविष्य देखता है. इसके चलते ऐसे संभावित खरीदार जो 3-6 महीने में इस पर बात कर रहे थे, उन्होंने लॉक्डाउन के दौरान ही डील फाइनल करने का फैसला किया.

वैसे डिमांड सभी सेगमेंट है. अफोर्डेबल हाउसिंग से लेकर प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट तक में जरूरत और निवेश की वैल्यू के हिसाब से डिमांड है. इस बीच एक टियर 2 शहरों में कोंडोस और इंटीग्रेटेड टाउनशिप का ट्रेंड उभरकर सामने आया है. टियर 2 शहर मेट्रो के अलावा निवेश के बेहतर डेस्टिनेशन बनकर सामने आए हैं. ​खासकर ऐसे निवेशक जो कम जोखिम में अधिक रिटर्न चाहते हैं वो टियर 2 शहरों का रुख कर रहे हैं. कोविड के बाद के दौर में कुछ खरीदार शहरों की मेनस्ट्रीम लाइफ की जद्दोजहद से दूर जीवन जीने के बारे में सोच रहे हैं.

रीयल्टी में निवेश से पहले क्या करें?

बहरहाल, प्रॉपर्टी का चयन और निवेश से पहले यह जान लें कि आपका निवेश और आपकी रिस्क क्षमता का तालमेल, वित्तीय लक्ष्य और अनुमान के मुताबिक रिटर्न की क्षमता का आकलन जरूरी है. हमेशा प्रतिष्ठित डेवलपर की प्रॉपर्टी में निवेश करना बेहतर होता है. प्रॉपर्टी में निवेश से पहले ऐसे डेवलपर का चयन करें जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा हो और जिसने अपनी कमिटमेंट के मुताबिक डिलिवरी की हो. रिस्क को कम रखने के लिए हमेशा रेरा अप्रूव्ड प्रॉपर्टी में निवेश करना बेहतर रहेगा. इसके अलावा, हमेशा अपनी जरूरतों के अनुसार प्रॉपर्टी का चयन करने और उसमें निवेश करें न कि किसी आम धारणा के अनुसार फैसला करें. रियल एस्टेट हमेशा लंबी अवधि के लिहाज से निवेश का बेहतर विकल्प माना जाता है. आखिर में यदि आप लोन लेने की सोच रहे हैं तो ब्याज दरों पर नजर रखें और उसके कम ब्याज दरों का लाभ उठाएं.

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