सूरत सहित प्रदेशभर के सभी निजी स्कूल गुरुवार से अनिश्चितकाल के लिए पूरी तरह बंद हो जाएंगे। स्कूलों में चल रही ऑनलाइन क्लास भी बंद हो जाएगी। स्वनिर्भर स्कूल संचालक मंडल ने बुधवार को यह एलान किया है। इनमें सभी माध्यम के गुजरात बोर्ड और सीबीएसई से जुड़े स्कूल भी शामिल हैं। शिक्षा विभाग द्वारा 16 जुलाई को जारी अधिसूचना बुधवार को सार्वजनिक होने के बाद निजी स्कूलों ने यह फैसला किया है।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को भी अवगत करा दिया है कि कोरोना के चलते बंद स्कूलों को ट्यूशन फीस या किसी भी नाम पर एक भी रुपया फीस नहीं लेनी है जब तक कि स्कूल पूरी तरीके से खुल नहीं हो जाते हैं। सरकार ने स्कूलों को 2020-21 शैक्षणिक सत्र के लिए फीस न बढ़ाने का भी निर्देश दिया है।
अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी स्कूल फीस जमा न होने पर इस अवधि में पहली से कक्षा से लकर आठवीं कक्षा तक के किसी भी छात्र को निष्कासित नहीं करेगा ऐसा करना शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा-16 का उल्लंघन होगा। अभिभावकों द्वारा किए गए फीस के अग्रिम भुगतान को स्कूलों को भविष्य की फीस में समायोजित करना पड़ेगा।
निजी स्कूलों को नसीहत के साथ राहत की उम्मीद भी बंधाई
शिक्षा विभाग ने कहा कि कई स्कूलों ने लॉकडाउन में शिक्षण या गैर-शिक्षण स्टाफ को वेतन नहीं दिया है या केवल 40-50 प्रतिशत ही दिया है। शिक्षण संस्थान परमार्थ संगठन हैं जो समाज से लाभ अर्जित किए बिना शिक्षा देने करने के लिए बने हैं। शुल्क नियामक समिति लॉकडाउन के दौरान इन स्कूलों द्वारा अपने कर्मियों के वेतन पर किए गए व्यय पर गुजरात स्व-वित्तपोषित स्कूल (शुल्क नियमन) कानून 2017 के तहत विचार करेगी।
निजी स्कूल वाले बोले- उद्याेगों को पैकेज देने वाली सरकार को हमारा संकट नहीं दिख रहा
स्वनिर्भर स्कूल संचालक मंडल की ओर से पत्र में कहा गया है कि पिछले 4 महीने से स्कूलों में जारी आर्थिक संकट सरकार को नहीं दिखाई दे रहा है। अभिभावकों से जो सहयोग मिल रहा था उसे भी सरकार ने बंद करने का निर्णय ले लिया है। ऐसे में अब स्कूल चला पाना संभव नहीं है। इसलिए अनिश्चितकालीन के लिए स्कूल को बंद किया जा रहा है। स्कूल संगठन के प्रवक्ता दीपक राजगुरु ने कहा कि यदि सरकार को हीरा उद्योग को देने के लिए डेढ़ सौ करोड़ का पैकेज है तो स्कूलों को देने के लिए उनके पास एक भी रुपया क्यों नहीं है। सरकार चाहती है कि अभिभावक से पैसे ना लें तो उसे निजी स्कूलों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए थी। ऐसे में अब स्कूल चलाने का कोई मतलब ही नहीं है।
छोटे स्कूलों के लिए बड़ी परेशानी, आज बुलाई बैठक में करेंगे चर्चा
इस आदेश के बाद छोटे स्कूलों को बड़ी समस्या हो सकती है। ऐसे स्कूल निजी स्कूल संगठन में जुड़े हुए नहीं हैं और अब फीस नहीं मिलने से पूरी तरह से बंद होने की कगार पर हैं। इसको लेकर छोटे स्कूलों की एसोसिएशन ने भी गुरुवार को बैठक बुलाई है।
कुछ अभिभावकों की यह भी चिंता कि पढ़ाई का क्या होगा
कई अभिभावक ऐसे भी हैं जो बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के पक्ष में है। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से फीस कम करने का आदेश देना चाहिए न कि पूरी तरीके से फीस माफी का। उन्हें चिंता है कि ऑनलाइन क्लासेज बंद होने से आगे पढ़ाई कैसे होगी।
फीस के मुद्दे पर 3 महीने से चल रहा है विवाद
फीस के मुद्दे पर अभिभावकों और स्कूल संगठनों के बीच पिछले 3 महीने से विवाद चल रहा है। अभिभावकों ने ऑनलाइन क्लास के अलावा कोई भी फीस देने से इनकार किया था। राज्य सरकार ने भी आदेश दिया था कि वह मात्र ट्यूशन की ही फीस ले, लेकिन स्कूल सहमत नहीं हाे रहे थे।