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बैंक चेक और DD में न हों कन्फ्यूज, ​लेन-देन से पहले जान लें दोनों के बीच का अंतर

Bank Cheque Vs Demand Draft: कैशलेस ट्रान्‍जैक्‍शन की बात होती है तो चेक और डिमांड ड्राफ्ट (DD) का जिक्र जरूर होता है. चेक का इस्‍तेमाल तो बड़े पैमाने पर होता है लेकिन DD को लोग कुछ खास कामों के लिए ही ट्रांजेक्शन का माध्यम बनाते हैं. देखने में बैंक चेक व DD भले ही कुछ हद तक समान दिखें लेकिन दोनों के इस्तेमाल और ट्रांजेक्शन के तरीके में थोड़ा अंतर है. साथ ही इनमें से एक दूसरे से अधिक सिक्योर भी माना जाता है.

चेक की तरह DD का इस्‍तेमाल भी किसी बैंक अकाउंट में पैसे भेजने के लिए होता है. किसी भी बैंक में जाकर डिमांड ड्राफ्ट को बनवाया जा सकता है. इससे जुड़ी खास बात यह है कि DD बनवाने के लिए बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है. आप जिस व्यक्ति या कंपनी के नाम पर DD बनवा रहे हैं, पैसा सीधा उसी के अकाउंट में ट्रान्‍सफर होता है. DD बनवाने वाला या तो कैश देकर इसे बनवा सकता है या फिर अपने अकाउंट की मौजूदगी वाले बैंक से बनवाने पर अपने अकाउंट से पैसा कटवा सकता है.

चेक और DD में प्रमुख अंतर

  • DD केवल अकाउंट में ही पे होता है. जिसके नाम पर यह बना है, वह इसे अपने अकाउंट से इनकैश करा सकता है. वहीं चेक को अकाउंट में पैसा जमा कराने के लिए या फिर बिना पैसा जमा कराए बीयरर द्वारा सीधे इनकैश कराए जाने के लिए जारी किया जा सकता है.
  • बैंक खाते में अगर पर्याप्‍त धनराशि नहीं है तो चेक बाउंस हो जाता है. लेकिन DD के बाउंस होने का कोई झंझट नहीं होता क्योंकि इसके लिए DD बनवाने वाला व्‍यक्ति पहले ही पेमेंट कर चुका होता है.
  • चेक केवल वही जारी कर सकता है, जिसका बैंक में खाता हो लेकिन DD बनवाने के लिए बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है.
  • कई बार स्‍टैंडर्ड चेक से फंड ट्रांसफर होने में कई दिन लग जाते हैं. वहीं DD के अमाउंट को टार्गेटेड अकाउंट में पहुंचने में एक कामकाजी दिन का ही वक्‍त लगता है.

DD यूं माना जाता है अधिक सिक्योर

अगर चेक अकाउंट पेई नहीं है और यह खो जाता है तो उसका गलत इस्‍तेमाल होने के चांस रहते हैं. कोई भी व्‍यक्ति बीयरर बनकर उसे इनकैश करा सकता है. लेकिन DD के साथ ऐसा नहीं है. इसके द्वारा केवल बैंक अकाउंट में ही पेमेंट होता है, इसलिए इसके खो जाने पर इसे इनकैश नहीं कराया जा सकता. हां, खो जाने की स्थिति में इसे कैंसिल कराया जा सकता है. रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक, DD पर बायर का नाम प्रिंट होना अनिवार्य है. यह नियम 15 सितंबर 2018 से प्रभाव में आया है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग की कोशिशों को नाकाम किया जा सके.
जिसके नाम पर DD पेएबल है, उसे DD का अमाउंट बैंक अकाउंट से इनकैश कराने के लिए DD बनवाए जाने का कारण बताना होगा. यानी किस काम के लिए अमाउंट DD से ट्रांसफर किया जा रहा है, उससे संबंधित डॉक्‍युमेंट्स बैंक में दिखाने होंगे. तभी DD इनकैश होगा.

इन कामों में बड़े काम का है DD

बैंक DD बड़े और इंटरनेशनल ट्रांजेक्‍शन के लिए एक अच्‍छा जरिया हैं. ज्‍यादातर एजुकेशनल इंस्‍टीट्यूट्स और कई जॉब्‍स के लिए फीस ट्रांसफर के माध्यम के तौर पर DD का ही इस्‍तेमाल होता है. DD को रुपये के अलावा जरूरत पड़ने पर दुनिया की किसी भी करेंसी में बनवाया जा सकता है.

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