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ITR फॉर्म में क्या देनी होगी हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की जानकारी?

Income Tax Return: टैक्सपेयर्स को अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन का ब्यौरा नहीं देना होगा और सरकार ITR फार्म में किसी तरह का संशोधन करने पर विचार नहीं कर रही है. सूत्रों ने बताया कि वित्तीय लेनदेन के बयान (SFT) के तहत किसी भी जानकारी के विस्तार का मतलब यह होगा कि इनकम टैक्स को ऐसे हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की जानकारी वित्तीय संस्थानों द्वारा दी जाएगी. सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि , ‘‘इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म को संशोधित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘टैक्सपेयर्स को अपने रिटर्न में उच्च मूल्य वाले लेनदेन का ब्यौरा देने की जरूरत नहीं होगी.’’

उनका कहना है कि हाईवैल्यू ट्रांजैक्शन के मामले ज्यादातर ऐसे हैं जिनमें बड़ी रकम के सामान की खरीद होती है लेकिन खरीदने वाला आईटीआर फाइल नहीं करता क्योंकि वह अपनी सालाना इनकम 2.5 लाख सालाना से कम दिखाता है. इन हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन में महंगी हवाई यात्राएं, विदेश यात्रा, महंगे होटल में पैसा खर्च करना और बच्चों को महंगा स्कूल में भेजना शामिल हैं.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार पहले ही हर बड़े ट्रांजैक्शन में PAN या आधार की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है. साथ ही थर्ड पार्टी को इसकी जानकारी आयकर विभाग को देना जरूरी है. ऐसे में करदाताओं से ही जानकारी लेना सही विचार नहीं है.

एक बड़ा तबका नहीं देता टैक्स

सूत्रों के अनुसार, भारत में यह सर्वविदित है कि बहुत ही छोटा तबका टैक्स देता है और ऐसे सभी लोग जिन्हें टैक्स देना चाहिए, असल में वह टैक्स नहीं दे रहे हैं. इनकम टैक्स विभाग वॉलेंटरी कम्प्लायंस पर अधिक से अधिक निर्भर है इसलिए SFT के जरिए थर्ड पार्टी से खर्च का डाटा कलेक्ट करना बेहतर और अधिक प्रभावकारी है. इससे टैक्स चोरी करने वाले लोगों की पहचान करना बेहतर तरीका है.

इनकम टैक्स विभाग फिलहाल बचत खाते में नकद जमा/निकासी, अचल संपत्ति की खरीद/बिक्री, क्रेडिट कार्ड भुगतान, शेयर की खरीद, बांड, विदेशी मुद्रा, म्यूचुअल फंड्स समेत अन्य ट्रांजैक्शन के जरिए जानकारियां हासिल करता है.

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