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आपने भी लोन मोरेटोरियम का लाभ लिया है? जानें कैसे करें बची हुई रकम का भुगतान

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 6 महीने के लिए दी गई लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की मियाद अब खत्म हो चुकी है. 31 अगस्त को लोन मोरेटोरियम सुविधा की अवधि खत्म होने के बाद अब इस महीने से उधारकर्ताओं को अपनी EMI चुकानी होगी. उधारकर्ता अपने लोन का रिपेमेंट लम्प-सम अमाउंट में कर सकते हैं. उनके पास यह भी विकल्प है कि वो अपने लेंडर से इस रकम को आउटस्टैंडिंग लोन की रकम में जुड़वा लें. इससे उनके लोन रिपेमेंट की बची हुई अवधि में हर महीने की EMI बढ़ जाएगी. उधारकर्ताओं के पास एक विकल्प यह भी है कि वो लोन की अवधि को ही बढ़ा लें.

हालांकि EMI देने की अतिरिक्त अवधि इस बात पर भी निर्भर करेगी कि उन्हें कितने समय में लोन का रिपेमेंट (Loan Repayment) करना है और इसपर उन्हें किस दर से ब्याज देना पड़ रहा है. अब उधारकर्ताओं के पास एक विकल्प है कि वो मोरेटोरियम की अवधि के दौरान जुड़ने वाले ब्याज को वो अलग लोन में तब्दील करा लें.

जो उधारकर्ता अभी भी ​लिक्विडिटी की समस्या से जूझ रहे हैं वो लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) का विकल्प चुन सकते हैं. आइए समझते हैं कि ऐसी स्थिति में लोन रिपेमेंट का क्या विकल्प है.

वन-टाइम रिपेमेंट: अगर उधारकर्ता के पास पर्याप्त रकम है तो वो लोन मोरेटोरियम के दौरान बचे हुए रकम को एक ही बार में जमा कर सकते हैं. इसके बाद पहले की तरह ही EMI भरना शुरू कर सकेंगे. इस स्थिति में उनकी EMI में कोई इजाफा नहीं होगा.

बचे हुए महीनों के लिए EMI बढ़ाना: अगर उधारकर्ता बचे हुए महीनों के लिए EMI को बढ़ाना चाहता है तो उन्हें पहले की तुलना में ज्यादा EMI चुकानी होगी. इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं. मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने 20 साल के लिये 50 लाख रुपये का लोन लिया है और इसपर उसे 8.50 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ रहा है. इस व्यक्ति ने अप्रैल से अगस्त महीने तक लोन मोरेटोरियम का लाभ लिया है.

मोरेटोरियम के पहले इस व्यक्ति को 240 EMI चुकानी थी. EMI की रकम 43,391 रुपये थी और कुल ब्याज 54,13,879 रुपये का है. अब 5 महीने तक मोरेटोरियम का लाभ लेने के बाद कुल ब्याज 64,82,470 रुपये देना होगा. इस प्रकार उन्हें 10,68,491 रुपये का अतिरिक्त ब्याज देना पड़ रहा है.

ऐसे में अगर यह व्यक्ति मोरेटोरियम का लाभ लेने के बाद पहले की अवधि में ही अपनी EMI बढ़ाकर रिपेमेंट का विकल्प चुनता है तो उसे हर महीने 45,316 रुपये की EMI देनी होगी.

लोन की अवधि बढ़ाना: उधारकर्ता के पास एक विकल्प यह भी है कि वो EMI न बढ़ाये, बल्कि लोन की अवधि ही बढ़ा ले. ऐसी स्थिति में उन्हें उपरोक्त उदाहरण के हिसाब से 240 EMI की जगह 270 EMI चुकानी होगी. इसका मतलब हुआ की EMI न बढ़ाकर लोन की अवधि बढ़ाने पर उन्हें 30 महीने यानी ढाई साल तक अतिरिक्त EMI चुकानी होगी.

लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा
जो उधारकर्ता मार्च 2020 तक लोन रिपेमेंट नियमित रूप से कर रहे थे, उन्हें लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा मिल सकेगी. हालांकि, बैंकों को इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करना है. उधारकर्ताओं को यह ध्यान देना होगा कि 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से ज्यादा का लोन डिफॉल्ट किया है तो वो ​लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिये योग्य नहीं होंगे.

रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के तहत बैंक लोन रिपेमेंट्स को रिशेड्यूल या अब तक जमा हुए ब्याज को नये क्रेडिट फैसिलिटी में कन्वर्ट कर सकते हैं या लोन की अवधि बढ़ा सकते हैं या फिर मौजूदा लोन के लिये मोरेटोरियम को 2 साल के लिए बढ़ा सकते हैं. बैंकों का यह फैसला उधारकर्ता के मौजूदा रिपेमेंट क्षमता पर भी निर्भर करेगा.

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