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… तो क्या अब Loan Moratorium की EMI छूट पर नहीं चुकाना होगा ब्याज, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

नई दिल्‍ली. कोरोना संकट के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंक कर्जधारकों को राहत देते हुए लोन मोरेटोरियम (Moratorium) सुविधा शुरू की. इसके तहत ग्राहकों को 31 अगस्‍त तक ईएमआई (EMI) चुकाने से राहत दे दी गई. अब ये सुविधा खत्‍म हो चुकी है. लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों की नौकरी चली (Job Loss) गई तो करोड़ों का रोजगार ठप हो गया. वहीं, कंपनियां वेतन कटौती (Salary Cut) भी कर रही हैं. इससे काफी लोग अभी भी ईएमआई भरने की स्थिति में नहीं हैं. मोरेटोरियम सुविधा खत्‍म होने के बाद लोगों के पास बैंकों से ईएमआई चुकाने के लिए मैसेज, फोन कॉल्‍स और ई-मेल्‍स आने शुरू हो गए हैं.

इस पूरे मामले को समझते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने के लिए कहा है. इसीलिए सरकार ने  कर्जदारों को ब्याज से राहत, ब्याज पर ब्याज से राहत सहित अन्य मुद्दों पर पूर्ण रूप से आकलन करने के लिए पूर्व कैग राजीव महर्षि की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि समिति एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे देगी. स्टेट बैंक समिति को सचिवालय सुविधाएं कराएगा. समिति इस बारे में बैंकों और अन्य संबद्ध पक्षों से भी विचार-विमर्श कर सकेगी.

भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि की अध्यक्षता में गठित समिति में दो अन्य सदस्य आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के पूर्व सदस्य डॉ.रविन्द्र ढोलकिया, भारतीय स्टेट बैंक और आईडीबीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक बी. श्रीराम शामिल हैं. समिति कोविड-19 अवधि के दौरान कर्ज किस्त पर दी गई छूट अवधि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज से राहत दिए जाने का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगी.

समिति समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ने वाले वित्तीय संकट को कम करने और उपायों के बारे में भी सुझाव देगी. मौजूदा स्थिति में और भी कोई सुझाव अथवा विचार समिति सौंप सकेगी. विज्ञप्ति में कहा गया है कि लॉकडाउन अवधि के ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में कई तरह की चिंताओं को उठाया गया. यह मामला गजेन्द्र शर्मा ने भारत सरकार और अन्य के खिलाफ दायर किया है.

याचिका में छूट अवधि के दौरान ब्याज, ब्याज पर ब्याज और अन्य संबंधित मुद्दों में राहत दिए जाने का आग्रह किया गया है. सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार ने इसी के मद्देनजर इस पूरे मामले पर समग्र आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है ताकि इस संबंध में बेहतर निर्णय लिया जा सके.

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