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DNA ANALYSIS: अब कार खरीदने से पहले सोचनी होगी ये बात, हो सकता है बड़ा बदलाव

नई दिल्ली: कार खरीदते वक्त आप क्या देखते हैं? अपना बजट, कार कंपनी या कार का मॉडल आम तौर पर कोई भी व्यक्ति यही सब देख कर कार खरीदता है. लेकिन दिल्ली के लोग अब जब कार खरीदने के बारे में सोचेंगे, तो पहले उन्हें उसे पार्क करने की जगह के बारे में सोचना पड़ेगा.

पार्किंग स्पेस का सबूत जमा कराना जरूरी होगा
दिल्ली में अब कार खरीदते वक्त पार्किंग की जगह का सबूत देना अनिवार्य किया जा सकता है. दिल्ली में ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या का समाधान खोजने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी इपीसीए यानी Environment Pollution Control Authority ने हाल ही में दिल्ली सरकार और नगर निगम को ये सुझाव दिया है कि दिल्ली में कार खरीदने वाले व्यक्ति को, कार डीलर को पार्किंग स्पेस का सबूत जमा कराना जरूरी होगा.

ये कागज पार्किंग की जगह के ओनरशिप डॉक्यूमेंट के तौर पर हो सकता है. पार्किंग स्पेस की फोटो भी जमा कराई जा सकती है या कोई पार्किंग किराए पर लेने का प्रमाण दिया जा सकता है.

अगर इनमें से कुछ भी आपके पास नहीं है तो आपको अपनी पुरानी गाड़ी के 15 साल पूरे होने का इंतजार होगा. उसे स्क्रैप करने के बाद ही आप नई कार खरीदने के बारे में सोच सकते हैं.

अंतिम फैसला होना बाकी
ये सुझाव दिल्ली सरकार और नगर निगमों को भेजा जा चुका है. योजना ये है कि इसे अगले वर्ष से लागू कर दिया जाए. हालांकि ये नियम कब और कैसे लागू होगा इस बारे में अभी अंतिम फैसला होना बाकी है. लेकिन इस खबर ने महानगरों की कार पार्किंग की परेशानी वाली दुखती रग छेड़ दी है.

दुनिया की कुल आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा महानगरों में रहता है. एक अनुमान के मुताबिक, 2030 में 60 प्रतिशत जनता महानगरों में रह रही होगी. भारत में प्रति 1000 लोगों पर 22 गाड़ियां हैं, जबकि दिल्ली में प्रति 100 लोगों पर 33 गाड़ियां हैं.

समस्या का हल कार खरीदने वाले व्यक्ति के पास है?
दिल्ली में 1 करोड़ रजिस्टर्ड वाहन हैं जिसमें से तकरीबन 32 लाख चार पहिया वाहन हैं जबकि दिल्ली में अधिक़ृत पार्किंग स्पेस 1 लाख से भी कम गाड़ियों के लिए मौजूद है. एक चार पहिया वाहन को पार्क होने के लिए औसतन साढ़े 12 मीटर जगह चाहिए होती है. इस हिसाब से दिल्ली की 32 लाख गाड़ियां एक साथ पार्क हो जाएं तो कितनी जगह घेर लेती होंगी इसका अंदाजा लगाइए. 

लेकिन क्या पार्किंग स्पेस की इस समस्या का हल कार खरीदने वाले व्यक्ति के पास है. हमने इसका एक रिएलिटी चेक किया है. ये खबर दिल्ली से है लेकिन देश के महानगरों में रहने वाले लाखों लोग पार्किंग की इसी समस्या से रोज जूझते हैं.

दिल्ली में पार्किंग एक खोज
देश की राजधानी दिल्ली में पार्किंग एक खोज है. सुबह घर से गाड़ी लेकर निकलते वक्त ये चिंता पहले ही हो जाती है कि वापसी पर पार्किंग मिलेगी या नहीं. पॉश कॉलोनियों में करोड़ों का घर लेकर रहने वाले लोगों को भी पार्किंग आसानी से नसीब नहीं होती. पार्किंग के लिए झगड़े होना, मार पीट हो जाना दिल्ली में आम बात है. ऐसे में अगर आपसे ये कह दिया जाए कि अब कार खरीदने से पहले ही पार्किंग खोज लीजिए तो आप क्या करेंगे?

2019 में बनाई गई पार्किंग पॉलिसी
दिल्ली में बढ़ती जा रही गाड़ियों से जुड़ी समस्याओं प्रदूषण, ट्रैफिक और पार्किंग पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया तो दिल्ली में पहली बार 2019 में पार्किंग पॉलिसी बनाई गई. पिछले वर्ष 23 सितंबर को दिल्ली सरकार ने पार्किंग पॉलिसी को नोटिफाई किया था.

-इस पॉलिसी के तहत फुटपाथ पर पार्किंग बैन की गई है.

-अगर सड़क पर ही गाड़ी पार्क की जाती है तो उसके दाम ऑफ रोड पार्किंग से कई गुना ज्यादा हों.

-नगर निगमों से रिहायशी इलाकों में पार्किंग की व्यवस्था करने को कहा गया.

-पार्किंग स्पेस के बदले में लोगों पर पार्किंग चार्ज लगाने वसूला जाए.

-चौराहों, गोलचक्कर और ट्रैफिक सिग्नल के 25 मीटर के दायरे में पार्किंग की इजाजत नहीं होगी.

-मल्टी लेवल पार्किंग या दूसरे पार्किंग लॉट से लोगों को शटल सर्विस देने की भी योजना बनाई गई है.

-मल्टी लेवल पार्किंग की रेट सर्फेस पार्किंग के मुकाबले एक तिहाई होगी.

-अब लोग पूछ रहे हैं कि गाड़ी अगर घर के नीचे खड़ी नहीं होगी तो इमरजेंसी होने पर क्या करेंगे. योजना बनाने वाली ईपीसीए इसे लागू करने पर अड़ी है जबकि नगर निगम इसके लिए तैयार नजर नहीं आता.

भारत में हर रोज 50 हजार चार पहिया वाहन खरीदे जाते हैं
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगर ट्रैफिक और बढ़ती कारों की समस्या से निपटने के लिए कई योजनाएं बनाते हैं लेकिन अगर आप ऐसे किसी शहर में रहते हैं तो आप जानते हैं कि समस्या और समाधान के बीच में अभी बहुत सी कारें हैं. भारत में हर रोज 50 हजार चार पहिया वाहन खरीदे जाते हैं इनमें से एक तिहाई संख्या कारों की है. ऐसे में कारों की पार्किंग, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण जैसी हर समस्या का समाधान बेकार ही साबित हो रहा है.

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