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नए कानून के बाद बदल गया ग्रेच्युटी का नियम, जानिए अब किसे और कब मिलेगा पैसा

संसद में तीन लेबर कोड बिलों (Labour Code Bills) को पारित कर दिय गया है है. इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 और सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 शामिल हैं.  सोशल सिक्योरिटी बिल, 2020 के चैप्टर 5 में ग्रेच्युटी के नियम की जानकारी दी गई है. आइए जानें इसके बारे में….

सबसे पहले ग्रेच्युटी के बारे में जानते है- एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है. ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होतिा है. अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा. ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है.

क्या कहता है नया नियम- सरकार ने निश्चित अवधि (फिक्स्ड टर्म) वाले कर्मचारियों के लिए यानी कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वालों के लिए ये व्यसस्था कर दी है. अगर कोई कॉन्ट्रैक्ट पर किसी कंपनी के साथ एक साल फिक्स्ड टर्म के साथ काम करता है तो भी उसे ग्रेच्युटी मिलेगी.कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वाले कर्मचारी को अब एक नियमित कर्मचारी की तरह सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है. कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के अलावा सीजनल प्रतिष्ठान में काम करने वाले नौकरीपेशा को भी इसका फायदा दिया जाएगा.

किसे-किसे मिलेगा इसका फायदा- आपको बता दें कि अन्य के लिए पुराना वाला नियम ही जारी रहेगा. मौजूदा समय में पांच साल की नौकरी पूरी करने पर हर साल 15 दिन के वेतन के हिसाब से ग्रेच्युटी निर्धारित है.ग्रेच्युटी कंपनी की ओर से कर्मचारियों को दी जाती है. इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होती है. कर्मचारी ने एक ही कंपनी में 20 साल काम किया और उसका अंतिम वेतन 60 हजार रुपये है. इस वेतन को 26 से भाग दिया जाता है, क्योंकि ग्रेच्युटी के लिए 26 कार्यदिवस माना जाता है. इससे 2,307 रुपये की रकम निकलेगी.

कांट्रैक्ट पर नौकरी करने वालों को मिलेगा फायदा –फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों के लिए न्यूनतम अवधि की शर्त नहीं-इसके तहत निश्चित अवधि (फिक्स्ड टर्म) वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है. और इसके लिए न्यूनतम सेवा अवधि की कोई शर्त नहीं होगी. पहली बार, एक निश्चित अवधि वाला कर्मचारी जो एक निर्धारित अवधि के लिए काम कर रहा है, उसे एक नियमित कर्मचारी की तरह सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है. फिक्स्ड टर्म का मतलब अनुबंध यानी कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों से होता है.

अब कब मिलेगा ग्रेच्युटी का पैसा- चैप्टर 5 में कहा गया है कि कर्मचारी को नौकरी के खत्म होने पर लगातार पांच साल की सर्विस देने पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा. यह सेवानिवृत्ति, रिटायरमेंट या इस्तीफा, दुर्घटना या बीमारी से मौत या दिव्यांगता पर होगा. हालांकि, वर्किंग जर्नलिस्ट के केस में यह पांच साल की जगह तीन साल की होगी.इसके अलावा लगातार पांच साल की सर्विस जरूरी नहीं होगी जहां नौकरी का खत्म होना किसी कर्मचारी की मौत या दिव्यांगता या फिक्स्ड टर्म नियुक्ति या केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाई ऐसे किसी घटना से होगी.

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