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DNA ANALYSIS: कोरोना वायरस को आपका मोबाइल ‘पसंद’ है!

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नई दिल्ली: आज हमारे पास कोरोना वायरस (Coronavirus) पर अच्छी खबर और बुरी खबर दोनों हैं. अच्छी खबर ये है कि देश में कोरोना वायरस के इंफेक्शन के नए मामले लगातार घट रहे हैं. अब आपको बुरी खबर बताते हैं, एक नई रिसर्च के मुताबिक आपके मोबाइल फोन (Mobile Phone) पर कोरोना वायरस 28 दिनों तक जीवित रह सकता है.

सबसे पहले बात अच्छी खबर की करते हैं-

– भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कल 13 अक्टूबर को पिछले 24 घंटे में देश भर में कोविड-19 संक्रमण के 55 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं. ये आंकड़ा पिछले 2 महीनों में सबसे कम है और ये एक अच्छी ख़बर है.

– पिछले 24 घंटे में 706 लोगों की मौत हुई है और पिछले एक हफ्ते में आए मौत के आंकड़ों में ये सबसे कम है.

– इस समय कोरोना वायरस के कुल 71 लाख मामलों के साथ भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 78 लाख मामलों के साथ अमेरिका पहले नंबर पर है. हालांकि इसमें एक्टिव मामलों की संख्या सिर्फ 8 लाख 38 हजार है. कुल एक्टिव केस पिछले 5 दिनों से लगातार, 9 लाख से कम बने हुए हैं.

– भारत में कोरोना वायरस का रिकवरी रेट 87 प्रतिशत है. यानी हर बार 100 मरीजों में से 87 स्वस्थ हो रहे हैं. देश में अबतक 63 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और कोरोना वायरस से रिकवरी के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है.

– कोरोना वायरस के संदर्भ में एक और अच्छी खबर आई है. स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि अगले साल की शुरुआत में देश में कोविड-19 की वैक्सीन बन सकती है और जुलाई 2021 तक 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी.

मोबाइल फोन पर 28 दिनों तक जीवित रहता है वायरस
अब आपको कोरोना वायरस से जुड़ी एक चिंताजनक खबर बताते हैं. कोरोना वायरस के इंफेक्शन से आपका शरीर 14 दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन आपके मोबाइल फोन पर ये वायरस 28 दिनों तक जीवित रहता है. ये दावा ऑस्ट्रेलिया की नेशनल साइंस एजेंसी CSIRO ने किया है. हालांकि पहले ये माना जाता था कि कोरोना वायरस अलग अलग सतहों पर 3 दिनों से 6 दिनों तक ही जिंदा रहता है.

– नई रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस मोबाइल फोन, ​करेंसी नोट और स्टील पर सबसे ज्यादा यानी 28 दिनों तक जीवित रह सकता है, जबकि ऐसी ही स्थितियों में फ्लू का वायरस सिर्फ 17 दिनों तक जीवित रहता है.

– ये रिसर्च प्रयोगशाला के 20 डिग्री तापमान वाले अंधेरे कमरे में की गई है. कम तापमान में कोरोना वायरस सबसे देर तक टिकता है.

– हालांकि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, कोरोना वायरस के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है

– Smooth Surface यानी समतल सतह पर ये वायरस अधिक दिनों तक जीवित रह सकता है. आपके मोबाइल फोन की स्क्रीन भी स्मूद होती है, जबकि कपड़े या किसी खुरदुरी सतह पर ये वायरस 14 दिनों के बाद जीवित नहीं रह पाता है.

कोरोना संक्रमण फैलने में मोबाइल फोन एक बड़ी वजह
एक शोध के मुताबिक एक व्यक्ति दिन में लगभग 2 हजार 600 बार अपना मोबाइल फोन छूता है और वैज्ञानिक मानते हैं कि कोरोना संक्रमण फैलने में मोबाइल फोन एक बड़ी वजह है.

इस रिसर्च के नतीजे देखकर आपको भी डर लग रहा होगा. हालांकि ये जरूरी नहीं है कि आपके मोबाइल फोन पर ये वायरस 28 दिनों तक जीवित ही रहे. क्योंकि अगर आप अपने मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल करते हैं तो मोबाइल फोन का तापमान बढ़ जाता है और गर्म सतह पर वायरस ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकता है.

अब आपको ये बताते हैं कि आप अपने मोबाइल फोन को वायरस से मुक्त कैसे कर सकते हैं.

सैनिटाइज करने का सही तरीका
आप अपने हाथों को सैनिटाइजर स्प्रे या जेल से साफ करते हैं और उसी सैनिटाइजर स्प्रे या जेल से मोबाइल फोन भी साफ करते हैं. लेकिन ये मोबाइल फोन को सैनिटाइज करने का गलत तरीका है. अब आपको सही तरीका समझाते हैं.

उदाहरण के लिए गलती से भी सैनिटाइजर को सीधे मोबाइल फोन पर न छिड़कें. सैनिटाइजर को किसी रूई, सूती कपड़े या टिशू पेपर पर लगाएं और फिर इससे मोबाइल फोन को साफ करें. मोबाइल फोन के कवर को हटाकर उसे अच्छी तरह से साफ करें. ये जरूर ध्यान रखें कि किसी भी तरह का लिक्विड, मोबाइल फोन के अंदर न जाए. मोबाइल फोन को सैनिटाइज करने के बाद उसे 5 मिनट के लिए अलग रख दें ताकि उस पर लगे केमिकल अच्छी तरह से सूख जाएं.

इस तरह से मोबाइल फोन को सैनिटाइज करके आप कोरोना वायरस से बच सकते हैं और आपका मोबाइल फोन भी खराब नहीं होगा.

संक्रमण से बचाव का एक तरीका, हर्ड इम्युनिटी
पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें एक बार ठीक हो चुके मरीजों में कुछ ही दिनों के बाद कोरोना वायरस का इंफेक्शन हो गया.

इसी वर्ष अप्रैल के महीने में हॉन्ग कॉन्ग के 33 साल के एक व्यक्ति को कोरोना वायरस का इंफेक्शन हुआ और वो कुछ ही दिनों में ठीक भी हो गया. लेकिन 4 महीने बाद ये व्यक्ति एक बार फिर कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया. इस व्यक्ति को हॉन्ग कॉन्ग में कोविड 19 का पहला री-​इंफेक्शन का केस बताया गया. जब हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की तो पता चला कि इस व्यक्ति को दोनों बार अलग-अलग प्रकार का कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ.

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का एक तरीका है, हर्ड इम्युनिटी. मेडिकल साइंस में हर्ड इम्युनि​टी, उस प्रक्रिया को कहा जाता है जब आबादी का एक बड़ा हिस्सा वायरस से संक्रमित हो जाता है या कर दिया जाता है ताकि वो वायरस से इम्यून हो सके और लोगों के शरीर में वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज बन जाएं.

Sero Survey के नतीजे
भारत में हुए दूसरे Sero Survey के नतीजों में पाया गया कि अगस्त 2020 तक भारत में 7 प्रतिशत लोग कोरोना के शिकार हो चुके थे. इसका मतलब है कि अगस्त के महीने तक भारत में 6 करोड़ लोगों को कोरोना हो चुका था. ये पहले Sero Survey के नतीजों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. देश के पहले Sero Survey में ये आंकड़ा 64 लाख लोगों का था.

जानकारों के मुताबिक, अगर भारत की 60 से 70 प्रतिशत आबादी कोरोना से संक्रमित हो जाए और लोगों में इसकी एंटी बॉडीज बन जाएं तो वायरस के संक्रमण की रफ्तार और क्षमता कम होने लगेगी और धीरे धीरे ये खत्म हो जाएगा. हालांकि इसमें एक खतरा भी है. कोरोना वायरस के इंफेक्शन से बहुत लोगों की जान जा सकती है. इसलिए कोरोना वायरस की वैक्सीन ही सबसे सही विकल्प है.

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