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ITR-V का नया फॉर्मेट: जानिए आपके लिए कितना फायदेमंद, कितना नुकसानदायक

ITR-V: इनकम टैक्स रिटर्न वेरिफिकेशन फॉर्म ITR-V का फॉर्मेट इस बार से बदल गया है. इस नए फॉर्मेट के तहत ITR-V में टैक्सपेयर की बेसिक डिटेल्स ही रहेंगी. जैसेकि नाम, पैन नंबर, आईटीआर फॉर्म नंबर, उस सेक्शन की जानकारी जिसके तहत आईटीआर फाइल किया गया है और ई-फाइलिंग का पावती (Acknowledgement)नंबर. इस बार से इसमें आय, डिडक्शंस, चुकाए गए टैक्स, टैक्स देनदारी और टैक्स रिफंड जैसी जानकारी को हटा दिया गया है.

पिछले साल भी बदले थे कुछ नियम

  • इससे पहले इनकम रिटर्न के ई-फाइलिंग के समय इकलौता दस्तावेज ITR-V जारी होता है और यह वेरिफाइड हो या नहीं, इसे आईटीआर प्रूफ के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता था.
  • ITR-V के वेरिफिकेशन के समय इनकम टैक्स रिटर्न पावती (Acknowledgement) को भी आईटीआर प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल किया सकता था.
  • इन दोनों ही डॉक्यूमेंट्स में अधिक अंतर नहीं था, इसलिए इन दोनों को ही आईटीआर प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता था.
  • अब इनकम के अप्रणामित (अनवैरिफाइड) रिटर्न्स को आईटीआर फाइलिंग के वैलिड प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे कि आपने आईटीआर फाइल कर दिया है.
  • पिछले साल अप्रणामित आईटीआर-5 को रिटर्न के प्रूफ के तौर पर खारिज करने के लिए डॉक्यूमेंट में यह मेंशन किया जाने लगा कि यह रिटर्न फाइल करने का प्रमाण नहीं है.
  • आयकर विभाग इस साल भी ये दोनों दस्तावेज जारी कर रही है लेकिन आईटीआर-5 के फॉर्मेट में बदलाव हो गया है.

डेटा प्राइवेसी होगी सुनिश्चित

  • अगर बंगलूरु स्थित आयकर विभाग के कार्यालय पर डाक के जरिए भेजने पर ITR-V बीच रास्ते कहीं गुम हो जाता है तो इसमें इनकम और टैक्स डिटेल्स की जानकारी के अभाव में इसका गलत उपयोग नहीं हो सकेगा.
  • द वर्चुअल कंप्लायंस के फाउंडर सीए गीतांशु भल्ला का कहना है कि आयकर विभाग की यह पहल प्रशंसनीय है क्योंकि फ्राड करने वाले शख्स अब आईटीआर-5 का गलत प्रयोग नहीं कर सकेंगे. इससे पहले जब किसी ईमानदार शख्स का आईटीआर-5 किसी गलत शख्स के हाथ में पड़ जाता था तो वह इसमें दी गई इनकम और टैक्स पेड की जानकारी का गलत प्रयोग कर सकता था.
  • चार्टरक्लबडॉटकॉम के फाउंडर और सीईओ सीए करन बत्रा का कहना है कि बहुत से लोग आईटीआर-5 को मैनुअली हस्ताक्षरित कर बंगलूरु स्थित आयकर विभाग के पास भेजता था जो कभी-कभी गलत हाथ में पड़ जाता था तो उसका गलत प्रयोग होता था. बत्रा के मुताबिक विभाग की यह पहल डेटा प्राइवेसी का एक हिस्सा है.

वेरिफिकेशन के दौरान बरतनी होगी अधिक सावधानी

  • आयकर विभाग की इस पहल से जहां डेटा प्राइवेसी सुनिश्चित हो रही है, वहीं इसके नुकसान भी हैं. अब टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स पोर्टल पर वेरिफिकेशन के दौरान अपलोड किए गए इनकम और इनकम टैक्स की जानकारी नहीं देख सकेंगे. इस वजह से अगर कोई गलती हुई है तो वह पकड़ में नहीं आ सकेगा और टैक्सपेयर्स को बाद में समस्या हो सकती है.
  • गीतांशु भल्ला ने सलाह दी है कि रिटर्न वेरिफाई करने से पहले इसे पोर्टल पर पीडीएफ के रूप में उपलब्ध इनकम टैक्स रिटर्न फाइल से मिला लेना चाहिए. वेरिफाई करने से पहले आईटीआर फॉर्म को एक बार फिर से चेक कर लेना चाहिए.
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