MUST KNOW

DNA ANALYSIS: बाइडेन अगर राष्ट्रपति बने तो भारत-अमेरिका के संबंधों में बदलाव की संभावना कितनी?

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) हार मानने को तैयार नहीं हैं. अमेरिका के 5 राज्यों में अभी वोटों की गिनती हो रही है. जो बाइडेन (Joe Biden) को इनमें से सिर्फ एक राज्य जीतने की जरूरत है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को जीत के लिए सभी राज्यों में जीत चाहिए. यानी अगर क्रिकेट मैच की भाषा में कहा जाए तो बाइडेन को 5 गेंदों में सिर्फ एक रन बनाना है, जबकि ट्रंप को 5 गेंदों में कम से कम 5 रन बनाने की जरूरत है.

अमेरिका के जॉर्जिया में वोटों की दोबारा गिनती
अमेरिका के जॉर्जिया में अब वोटों की दोबारा गिनती होगी. जॉर्जिया में अंतिम गिनती तक बहुत कम अंतर से बाइडेन आगे थे और दोबारा गिनती का एक मतलब ये भी है कि इस चुनाव के नतीजे सामने आने में ज्यादा वक्त भी लग सकता है.

सीक्रेट सर्विस ने जो बाइडेन की सुरक्षा बढ़ाई
तीन दिनों से अमेरिका में वोटों की गिनती हो रही है. हालांकि अमेरिका की सीक्रेट सर्विस ने जो बाइडेन की सुरक्षा को बढ़ा दिया है. यानी सीक्रेट सर्विस ने भी ये मान लिया है जो बाइडेन ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे. 

– अमेरिका की सीक्रेट सर्विस वहां के राष्ट्रपति की सुरक्षा करती है. इसी तरह भारत में प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी यानी Special Protection Group के जिम्मे होती है.

फिलहाल अमेरिका में जो बाइडेन के आसपास सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है. बताया जा रहा है कि पिछले एक सप्ताह से सीक्रेट सर्विस की एक टीम इसके लिए तैयारी कर रही थी.

– अमेरिकी मीडिया में बाइडेन के काफिले में इस बदलाव के बारे में रिपोर्टिंग की गई है. हालांकि अभी भी ये अमेरिका के राष्ट्रपति को मिलने वाली सुरक्षा के स्तर से कम है.

– अमेरिका में अभी वोटों की गिनती हो रही है. अब तक 13 करोड़ से ज्यादा वोटों की गिनती हो चुकी है. इस चुनाव में हुई कुल वोटिंग का ये लगभग 90 प्रतिशत है.

– अमेरिका के 5 राज्यों में वोटों की गिनती जारी है. इसमें से 4 राज्यों में जो बाइडेन आगे हैं और अगर वो सिर्फ एक राज्य भी जीत जाएं तो उनका अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनना तय हो जाएगा. हालांकि इनमें से एक राज्य जॉर्जिया में दोबारा वोटों की गिनती होगी.

– डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ एक राज्य में आगे चल रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 4 राज्यों में जीतना होगा.

– इस समय जो बाइडेन को 264 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं जबकि डोनाल्ड ट्रंप को सिर्फ 214 इलेक्टोरल वोट मिले हैं.

– ऐसा लगता है कि ट्रंप की हार तय है. हालांकि ट्रंप अभी भी इसे मानने को तैयार नहीं है, जबकि बाइडेन का दावा है कि अमेरिका की सरकार ऐसे लोगों को व्हाइट हाउस से बाहर निकालने में सक्षम है.

– अमेरिका में वोटों को गिनने की रफ्तार बहुत धीमी है. इसलिए वहां पर एक और ओपिनियन पोल किया गया है. इसके मुताबिक 52 प्रतिशत लोग ये मानते हैं कि बाइडेन जीत रहे हैं, जबकि सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों को ट्रंप के जीतने की उम्मीद है. 28 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो नतीजों को लेकर कोई राय नहीं रखते हैं.

– आज अमेरिका की अदालतों में भी ट्रंप को समर्थन नहीं मिला. जॉर्जिया और मिशिगन की अदालतों ने ट्रंप के मुकदमों को खारिज कर दिया.

– यानी अमेरिका में चुनाव करवाने वाले अधिकारी और वहां की अदालतें दोनों ये मानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.

बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से भारत को चिंतित होने की जरूरत नहीं
जब प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे. उस समय बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति और जो बाइडेन अमेरिका के उप-राष्ट्रपति थे. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन की एक मुलाकात हुई थी और इस मुलाकात के बारे में बाइडेन ने जो बातें कही थीं, उससे लगता है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से भारत को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

अलग-अलग मुद्दों पर जो बाइडेन का स्टैंड क्या होगा?
आप भी ये जरूर जानना चाहेंगे कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनने के बाद अलग-अलग मुद्दों पर जो बाइडेन का स्टैंड क्या होगा ? यानी 77 वर्ष के बाइडेन हमारे लिए और दुनिया के लिए क्या विचार रखते हैं, और उनकी नीतियां क्या होंगी?

– इस समय अमेरिका और भारत की सबसे बड़ी चिंता चीन है. इसलिए बाइडेन के लिए पहली प्राथमिकता होगी चीन के विस्तारवाद को रोकना. यानी अमेरिका और चीन के बीच का तनाव बाइडेन के आने के बाद भी जारी रह सकता है.

– अमेरिका में सरकारें आती-जाती रहती हैं लेकिन वहां की विदेश नीति में बड़े बदलाव बहुत कम होते हैं. इस समय अमेरिका की विदेश नीति, चीन के खिलाफ है और ये नीति आगे भी कायम रह सकती है.

– बाइडेन और ट्रम्प की भारत के प्रति विदेश नीति में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. इसलिए भारत और अमेरिका के संबंधों में बदलाव होने की संभावना न के बराबर है.

– कहा जा रहा है कि इस चुनाव में भारतीय मूल के ज्यादातर लोगों ने बाइडेन को वोट दिया है. यानी अब बाइडेन पर भारत के साथ व्यापारिक संबंध बेहतर करने का दबाव होगा.

– अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार में बाइडेन की पार्टी ने जम्मू-कश्मीर, एनआरसी और सीएए का मुद्दा उठाया था. हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद इन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना कम है.

– शायद आपने भी सुना होगा कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने की खबरों से पाकिस्तान की सरकार बहुत खुश है. डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. लेकिन बाइडेन पुराने राजनयिक हैं और पाकिस्तान के साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं. वर्ष 2008 में पाकिस्तान की सरकार ने बाइडेन को अपने दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान… ‘हिलाल-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया था.

– वर्ष 2011 में अमेरिका की स्पेशल फोर्स ने दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के अबोटाबाद में मार दिया था. उस समय बाइडेन, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति थे. हालांकि तब बाइडेन ने पाकिस्तान में इस ऑपरेशन का विरोध किया था.

– अमेरिका और रूस दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस से अमेरिका के संबंधों में और तनाव आ सकता है और रूस पर नए प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.

ट्रंप और बाइडेन की पर्सनैलिटी में अंतर
अब आपको बताते हैं कि ट्रंप और बाइडेन की पर्सनैलिटी में क्या अंतर है और ये दोनों नेता कोई भी बड़ा फैसला कैसे करते हैं?

– अमेरिका में हुए एक सर्वे में ट्रंप को ज्यादा ऊर्जावान और साहसी बताया गया है. हालांकि इसी सर्वे में बाइडेन को शांति से फैसले लेने वाला, एक अच्छा रोल मॉडल और ट्रंप से ज्यादा ईमानदार माना गया.

– ट्रंप पिछले 4 वर्षों से अमेरिका के राष्ट्रपति हैं और Biden वर्ष 2009 से लेकर 2017 तक लगातार 8 वर्षों तक अमेरिका के उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं. यानी इन दोनों नेताओं को राजनीति और दुनिया के अलग-अलग देशों के लिए विदेश नीति के बारे में पूरी जानकारी है.

– माना जाता है कि बाइडेन महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति हासिल करने में भरोसा रखते हैं, जबकि ट्रंप अचानक और एकतरफा फैसले लेते रहे हैं, उन्हें मूडी भी कहा जाता है यानी ट्रंप के फैसलों में तर्क से ज्यादा उस समय की उनकी मानसिक स्थिति महत्वपूर्ण होती है.

– ऐसा करने की वजह है इन नेताओं का इतिहास, बाइडेन पिछले 50 वर्षों से अमेरिका की राजनीति में एक्टिव हैं, जबकि अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप एक बिजनेसमैन थे.

– ट्रंप ने कई बार अमेरिका की नीतियों से अलग हटकर कुछ देशों के साथ डील करने की कोशिश की. उत्तर कोरिया इसका एक बड़ा उदाहरण है. हालांकि माना जाता है कि बाइडेन अमेरिका के हितों को ध्यान में रखकर फैसला करेंगे. यानी बड़े बदलाव की संभावना कम है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top