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Credit Score: आपके क्रेडिट स्कोर को कम करती हैं ये गलतियां, ऐसे करें सुधार

क्रेडिट स्कोर कम होने से लोन आवेदन खारिज हो सकता है.

युवाओं की एक बड़ी आबादी उधार लेने और खर्च करने में हिचकती नहीं है और वह बेहतर क्रेडिट स्कोर भी बनाए रखना चाहती है. बेहतर क्रेडिट स्कोर होने से उनके लोन आवेदन खारिज नहीं होंगे. थिंक एनालिटिक्स के को-फाउंडक अमित दास का कहना है कि इस समय जो युवा आबादी है, उनकी सोच पैसे और निवेश को लेकर अपनी पिछली पीढ़ी से बिल्कुल अलग है. इसकी सबसे वजह यह है कि उनकी पिछली पीढ़ी से उन्हें आर्थिक सहारा मिला है.

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस पीढ़ी की युवा आबादी को अपने कैरियर की शुरुआत में 2008, 2012-13 और 2020 के वित्तीय संकट का अधिक सामना नहीं करना पड़ा है.

इन वजहों से क्रेडिट स्कोर पर पड़ा है प्रभाव

क्रेडिट स्कोर पर कई कारकों का प्रभाव पड़ता है.

  • आप क्या खरीद रहे हैं और कहां से खरीद रहे हैं, यह क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है. इस वजह से क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए जरूरी है कि अपने खर्चे पर ध्यान दिया जाए.
  • देरी से भुगतान करना या लंबे समय में पेमेंट करने से क्रेडिट स्कोर पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
  • क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च करने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि क्रेडिट कार्ड की पूरी लिमिट के बराबर खर्च करने से बचना चाहिए.
  • किसी क्रेडिट कार्ड को कैंसिल करने पर भी क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है.
  • अधिक क्रेडिट कार्ड रखना समझदारी का फैसला नहीं है. अधिक क्रेडिट कार्ड रखने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है.
  • अगर आप क्रेडिट स्कोर बढ़ाना चाहते हैं तो क्रेडिट कार्ड का प्रयोग न करना समझदारी नहीं है. दास के मुताबिक जिनका क्रेडिट स्कोर खराब है, वे ऐसी क्रेडिट कंपनियों के ऑफर्स ले सकते हैं जिसके जरिए उन्हें खरीदारी के व्यापक विकल्प मिलते हों. इस ऑफर्स के तहत अल्टरनेटिव डेटा भी शामिल है.

अल्टरनेटिव डेटा के जरिए बढ़ा सकते हैं क्रेडिट स्कोर

जिन लोगों के क्रेडिट हिस्ट्री के कारण बैंकों ने क्रेडिट कार्ड देने से इंकार कर दिया है, उनके लिए अल्टरनेटिव डेटा ऑप्शन बेहतर है. दास के मुताबिक इसके जरिए न सिर्फ क्रेडिट स्कोर बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि क्रेडिट डिफॉल्ट होने की संभावना भी कम होगी. अल्टरनेटिव डेटा ऐसा इनपुट है जिस पर आमतौर पर क्रेडिट ब्यूरो स्कोर तैयार करने के लिए ध्यान नहीं देती हैं. इसमें यूटिलिटी, रेंट व सेलफोन बिल पेमेंट, बैंकिंग अकाउंट एक्टिविटी, सोशल मीडिया एक्टिविटी, एजुकेशन और ऑनलाइन बिहैवियर आता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस विकल्प के जरिए ग्राहकों का अनुभव बढ़ाने के लिए बैंक नए प्रोडक्ट्स कस्टमाइज करने में सक्षम होगा.

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