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100 मीटर की रेंज तक फायर करेगी पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल, डीआरडीओ और सेना ने मिलकर बनाई

क्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने भारत की नौ एमएम की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल तैयार की है। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पिस्तौल का नाम ‘अस्मी’ रखा गया है जिसका अर्थ- गर्व, आत्मसम्मान तथा कठिन परिश्रम है। यह हथियार चार महीने के रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है।

मशीन पिस्तौल इनसर्विस 9 एमएम हथियार को दागता है। इसका ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एलुमिनियम से और निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है। ट्रिगर सहित इसके विभिन्न भागों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना के महू स्थित इनफैंट्री स्कूल और डीआरडीओ के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने हथियार का डिजाइन तैयार किया है। सशस्त्र बलों के विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर और साथ ही उग्रवाद तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में भी यह पिस्तौल दमदार साबित होगी।

हेवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों ड्राइवर/डिस्पैच राइडरों, रेडियो/राडार ऑपरेटरों, नजदीकी लड़ाई, चरमपंथ विरोधी तथा आतंकवाद रोधी कार्रवाई में व्यक्तिगत हथियार के रूप में इसकी क्षमता काफी अधिक है। इसका इस्तेमाल केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है।

इसमें कहा गया है कि प्रत्येक मशीन पिस्तौल की उत्पादन लागत (बनाने का खर्च) 50 हजार रुपये के अंदर है और इसके निर्यात की संभावना भी है। 

ASMI की खासियत
ये पिस्टल गन रक्षा बलों में नौ एमएम वाली पिस्टल की जगह लेगी। इस मशीन पिस्टल को 100 मीटर की रेंज में फायर की जा सकती है और इसे इस्रायल की उजी श्रृंखला की की तोपों की कक्षा में रखा गया है। इस मशीन पिस्टल ने अपने विकास के अंतिम चार महीनों में 300 से ज्यादा राउंड फायर किए हैं।

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