रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने इंश्योरेंस कंपनियों (Insurance Company) के लिए बड़ा फैसला लिया है. RBI ने कहा है कि इंश्योरेंस कंपनियों में बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर लिमिट लगाई जाएगी.
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने इंश्योरेंस कंपनियों (Insurance Company) के लिए बड़ा फैसला लिया है. RBI ने कहा है कि इंश्योरेंस कंपनियों में बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर लिमिट लगाई जाएगी. बैंक की हिस्सेदारी को 20 फीसदी तक ही रखा जाएगा. वहीं, अगर मौजूदा नियमों की बात करें तो यह उसके आधे से भी कम है. फिलहाल इस समय के नियमों के मुताबिक, बैंकों को इंश्योरेंस कंपनियों में 50 फीसदी तक हिस्सेदारी रखने की परमिशन है.
2019 में 30 फीसदी रखने का प्रस्ताव
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने 2019 में इंश्योरेंस कंपनियों में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने की इच्छा रखने वाले बैंकों को अनाधिकारिक तौर पर हिस्सेदारी को 30 फीसदी पर सीमित रखने को कहा था. वहीं, हाल में बैंकों को इंश्योरेंस कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को 20 फीसदी पर सीमित करने का निर्देश दिया गया है.
जबरदस्त कमाई वाला जरिया है
सूत्रों के मुताबिक, अनऑफिशियली रूप से बैंकों से कहा गया है कि लेंडर्स के इंश्योरेंस बिजनेस में हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर बैंकिंग रेगुलेटर RBI सहज नहीं है. बता दें ऐसा माना जा रहा है कि इश्योरेंस के जरिए जबरदस्त कमाई होती है.
इसके अलावा रिजर्व बैंक चाहता है कि बैंक नॉन-कोर सेक्टर्स में पैसा लगाने के बजाय अपने मुख्य बिजनेस पर फोकस करे. केंद्रीय बैंक से इस संबंध में मांगी गई टिप्पणी का कोई जवाब नहीं मिला है.
कोटक महिंद्रा बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों के पास इस समय पूर्ण स्वामित्व वाली इंश्योरेंस कंपनियां हैं. वहीं, एक आंतरिक पत्र में इस बात का सुझाव दिया गया था कि अगर किसी इंश्योरेंस कंपनी में किसी लेंडर की 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है तो उन्हें नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (NOFHC) के स्ट्रक्चर को मानना होगा.
इसके अलावा कोरोना महामारी की वजह से बैंको के बैड लोन में भी इजाफा हो सकता है. इसके साथ ही आरबीआई नहीं चाहता कि बैंक कमाई वाले बिजनेस में पैसा लगाए.