FINANCE

सेविंग अकाउंट पर भी रहती है आयकर विभाग की नजर, जानिए कितना पैसा कर सकते हैं जमा

बैंक खाते में किसी भी राशि काे जमा करने या निकालने से पहले, हमें सुनिश्चित करना हाेगा कि लागू प्रावधानाें का अनुपालन करते हुए, हमें ऐसे लेनदेन के दायरें में नहीं आना चाहिए जाे नियम 114 ई के तहत आपकाे कर के दायरे में ला सकता है.

नई दिल्ली. अपनी बैंकिंग जरूरताें काे पूरा करने के लिए वेतनभाेगियाें सहित किसी भी सेक्टर में काम करने वालाें के पास कम से कम एक बचत खाता हाेना जरूरी है, हालांकि कई लाेग विभिन्न कारणाें से एक से ज्यादा खाते भी रखते है . स्थिर आय वहां जहां आमताैर पर बचत बैंक खाता खाेलते है क्याेंकि यहां उन्हें शेष राशि पर कुछ ब्याज भी मिल जाता है.  हालांकि, आमताैर पर बचत या कहे सेविंग्स अकाउंट में जमा की जाने वाली धनराशि की काेई सीमा नहीं हाेती है , लेकिन क्या आपने कभी साेचा है कि आप एक सेविंग खाते में कितना पैसा डाल या निकाल सकते है एक वित्तीय वर्ष में जिससे आप टैक्स के दायरे में ना आए ? 

 कर विशेषज्ञाें का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बैंकाें, कॉरपाेरेट्स, डाकघराें और एनबीएफसी के साथ -साथ वित्तीय रिपाेर्टिंग (एसएफटी) विवरण काे प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया है जब सेविंग खाते में ट्रांजेक्शन तय राशि से अधिक हाे. इसमें कैश जमा या निकालना, शेयर में इंवेस्ट करना, म्यूच्युअल फंड, क्रेडिट कार्ड का खर्च, विदेशी मुद्रा की खरीद, अचल संपत्ति में लेनदेन आदि शामिल हाे. 

ऐसे खाताें पर रहती है नजर 

कर कानूनाें के तहत बैंकिंग कंपनियाें काे चालू वर्ष के दाैरान कर विभाग काे एक वर्ष के दाैरान उन खाताें की जानकारी देनी हाेती है जिसमें एक वर्ष के दाैरान नियमित आधार पर दस लाख रुपये या उससे अधिक जमा या निकाले गए हाे. यह लिमिट करदाता के एक या एक से अधिक खाताें (चालू खाताें के अतिरिक्त व टाइम डिपॉजिट) में वित्तीय वर्ष में दस लाख रुपये या उससे अधिक की नकद जमा के लिए समग्र रूप से देखी जाती है. डेलॉइड इंडिया के पार्टनर आरती रावते ने कहा कि यह कर अधिकारी काे धन के स्त्राेत, प्राप्ति की प्रकृति और यह पता लगाने में मदद करता है कि करदाता द्वारा उचित कराें का भुगतान किया गया है या नहीं. 

इनकम टैक्स के नियम 114E के बारे में जानकारी हाेनी चाहिए

इस प्रकार एक वित्तीय वर्ष में बैंक खाते में दस लाख रुपये या उससे अधिक की नकद जमा और निकासी पर कर अधिकारियाें काे सूचित किया जाना आवश्यक है, ताे ऐसी स्थिति में यदि आपके खाते में भी दस लाख से या उससे अधिक का लेनदेन हुआ है ताे आपकाे सावधान रहने की जरूरत है.  चालू यानि करंट अकाउंट में यह सीमा 50 लाख रुपये और उससे अधिक है. हांलाकि लेनदेन के अलावा, कुछ अन्य लेनदेने भी है जिनके बारे में आपकाे जानकारी हाेना आवश्यक है. हाेस्टबुक लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष कपिल राणा कहते हैं कि एक व्यक्ति काे खातें से किए जाने वाले आय व्यय काे लेकर इनकम टैक्स के नियम 114E के बारे में जानकारी हाेनी चाहिए. जिससे वह एक वित्तीय वर्ष में अपने सेविंग अकाउंट से उतना ही पैसा निकाले या जमा करे जिससे वाे आयकर की रडार में ना आए. क्याेंकि उससे अधिक का लेनदेन इनकम टैक्स की धारा 1962 के नियम 114E के अंतर्गत सूचित की जाती है. – 

(A) प्रत्येक बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक जाे बैंक खाता की सुविधा प्रदान करते है उन पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 लागू हाेता है. उन्हें बैंक खाताें से जुड़े निम्नलिखित लेनदेन की रिपाेर्ट देना आवश्यक रहता है –

– ऐसे एक या दाे खाते (चालू व टाइम डिपॉजिट) काे छाेड़कर जिसमें एक वित्तीय वर्ष में दस लाख रुपये या उससे ज्यादा की राशि जमा की जाती है.

– भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 की धारा 18 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए बैंक ड्राफ्ट, पे ऑडर, बैंकर चैक, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स की खरीद के लिए एक वित्तीय वर्ष में नकद एकत्रीकरण में दस लाख या उससे अधिक का भुगतान किया गया हाे. 

B -क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली बैंकिंग कंपनी या एक सहकारी बैंक जिसे बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 लागू हाेता है या अन्य किसी कंपनी या संस्था काे निम्नलिखित लेनदेन की रिपाेर्ट करनी हाेती है –

– जारी किए गए एक या अधिक क्रेडिट कार्ड के बिल के विरूद्ध एक वित्तीय वर्ष में एक लाख या उससे अधिक का नकद भुगदान करना

– जारी किए गए एक या अधिक क्रेडिट कार्ड के बिल के विरूद्ध किसी भी माेड से दस लाख या उससे अधिक का भुगतान करना.

C – बॉन्ड या डिवेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्था काे किसी वित्तीय वर्ष में कंपनी या संस्था द्वारा जारी बॉन्ड या डिबेंचर प्राप्त करने करने के लिए दस लाख रुपयाे या उससे अधिक की राशि के किसी भी व्यक्ति से रसीद की रिपाेर्ट करना आवश्यक हाेता है. (नवीनीकरण के कारण प्राप्त राशि काेछाेड़कर) बांड या कंपनी द्वारा जारी डिबेंचर.

D – कंपनी जाे शेयर जारी कर रही है, कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयराें काे प्राप्त करने के लिए किसी वित्तीय वर्ष में दस लाख रुपये या उससे अधिक की राशि की रिपाेर्ट करना आवश्यक है.

E – कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 68 के तहत मान्यता प्राप्त स्ट़ॉक एक्सचेंज और अपनी प्रतिभूतियाें की खरीद पर सूचीबद्ध कंपनी काे किसी भी व्यक्ति से किसी वित्तीय वर्ष में दस लाख या उससे अधिक राशि के शेयराें के बायबैक की रिपाेर्ट देना जरूरी है.

F- म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी या अन्य व्यक्ति जाे म्यूचुअल फंड के मामलाें का प्रबंधन करते है उन्हें म्यूचुअल फंड की एक या एक से अधिक याेजनाओं की इकाइंयां प्राप्त करने के लिए वित्तीय वर्ष में दस लाख या उससे अधिक की राशि के किसी भी व्यक्ति से रसीद की रिपाेर्ट (एक स्कीम से दूसरे म्यूचुअल फंड में ट्रांसफर के कारण प्राप्त राशि काे छाेड़कर) करना जरूरी है.

G – विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 की धारा 2 के खंड (ग) में निर्दिष्ट एक अधिकृत व्यक्ति काे विदेशी की बिक्री के लिए वित्तीय वर्ष में दस लाख या उससे अधिक की राशि के किसी भी व्यक्ति से प्राप्तियाें की रिपाेर्ट करने की आवश्यकता है.

H – पंजीकरण अधिनिमय 1908 की धारा के तहत नियुक्त महानिरीक्षक या उस अधिनिमय की धारा 6 के तहत नियुक्त रजिस्ट्रार या उप पंजीयक काे किसी भी व्यक्ति द्वारा 30 लाख रुपये या उससे अधिक की अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री की रिपाेर्ट करने की जरूरत है.

इस प्रकार, बैंक खाते में किसी भी राशि काे जमा करने या निकालने से पहले, हमें सुनिश्चित करना हाेगा कि लागू प्रावधानाें का अनुपालन करते हुए , हमें ऐसे लेनदेन के दायरें में नहीं आना चाहिए जाे नियम 114 ई के तहत आपकाे कर के दायरे में ला सकता है. 

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