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तख्तापलट के बाद खूंखार हुई Myanmar की आर्मी, एक दिन में 96 लोगों को उतारा मौत के घाट

एक इंडिपेंडेंट रिर्सचर ने बताया कि अब तक 96 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि वेबसाइट म्यांमार नाउ की खबर के मुताबिक, शनिवार शाम तक सुरक्षाबलों की कार्रवाई में मरने वाले लोगों की संख्या 91 रही. हालांकि इस आंकड़े में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है.

यांगून: म्यांमार (Myanmar) की सेना ने देश की राजधानी में शनिवार को परेड (Army Parade) के साथ एनुअल आर्म्ड फोर्स डे (Annual Armed Force Day) का अवकाश मनाया. वहीं देश के अन्य इलाकों में, पिछले महीने हुए तख्तापलट के विरोध में हो रहे प्रदर्शन को दबाने के तहत सैनिकों और पुलिसकर्मियों ने दर्जनों लोगों को गोली मार दी.

अब तक 93 लोगों हो चुकी है मौत

एक इंडिपेंडेंट रिर्सचर ने बताया कि अब तक 93 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि जांच अभी भी जारी है और इस आंकड़े में बढ़ोतरी की उम्मीद है. रिर्सचर के अनुसार, मारे गए लोग करीब 24 से ज्यादा शहरों और कस्बों से थे जो यहां प्रदर्शन करने के लिए आए थे. तख्तापलट के बाद शनिवार का दिन सबसे अधिक रक्तपात (Bloodshed) वाले दिनों में शामिल हो गया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही कड़ी निंदा 

इन हत्याओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हुई है, और म्यांमा में कई कूटनीतिक मिशनों ने बयान जारी किए हैं, जिनमें शनिवार को बच्चों समेत नागरिकों की हत्या का जिक्र है. म्यांमार के लिए यूरोपीय संघ (European Union) के प्रतिनिधिमंडल ने ट्विटर पर कहा, ’76वे म्यांमार आर्म्ड फोर्स डे को आतंक और असम्मान के दिन के तौर पर याद किया जाएगा. बच्चों समेत निहत्थे नागरिकों की हत्या ऐसा कृत्य है जिसका कोई बचाव नहीं है.’

‘प्रतिरोध दिवस’ के रूप में मनाया अवकाश

इस साल के कार्यक्रम को हिंसा को उकसाने वाले के तौर पर देखा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि वे तख्तापलट का दोगुना सार्वजनिक विरोध करेंगे और बड़े प्रदर्शनों का आयोजन करेंगे. प्रदर्शनकारियों ने अवकाश को उसके मूल नाम प्रतिरोध दिवस के तौर पर मनाया जो द्वितीय विश्वयुद्ध में जापानी कब्जे के विरोध में बगावत की शुरुआत थी.

टीवी रिपोर्टस के जरिए धमका रही सरकार!

वहीं सरकारी MR TV ने शुक्रवार रात को एक घोषणा दिखाई थी और विरोध प्रदर्शनों में आगे रहने वाले युवाओं से अनुरोध किया था कि वे प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों से सबक सीखें कि उन्हें सिर में या पीठ पर गोली लगने का कितना खतरा है. इन प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों का सबसे ज्यादा शिकार प्रदर्शन में आगे रहने वाले युवा बने हैं. इस चेतावनी को व्यापक रूप से धमकी के तौर पर लिया जा रहा है, क्योंकि मरने वालों में अधिकतर प्रदर्शनकारियों के सिर में गोली लगी थी जो इस बात का संकेत है कि उन्हें निशाना बनाया गया था.

प्रदर्शन निपटाने के लिए ताकत का इस्तेमाल

गौरतलब है कि आन सान सू ची (Aung San Suu Kyi) की सरकार को 1 फरवरी को तख्तापलट के जरिए हटाने के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से निपटने के लिए प्रशासन ज्यादा ताकत का इस्तेमाल कर रहा है, और ऐसे में म्यांमार में मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. करीब पांच दशक के सैन्य शासन के बाद लोकतांत्रिक सरकार की दिशा में हुई प्रगति पर इस सैन्य तख्तापलट ने विपरीत असर डाला है. एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स ने शक्रवार तक तख्तापलट के बाद हुए दमन में 328 लोगों की मौत की पुष्टि की थी.

(इनपुट: भाषा)

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