Madhya Pradesh

देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार भी MP में मिला, पन्ना से 15 गुना ज्यादा डायमंड होने का अनुमान

बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था. दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की. आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन का टेंडर हासिल किया.

छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार मिलने का दावा किया जा रहा है. यहां के बकस्वाहा जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट हीरा दबे होने का अनुमान है. इस हीरा भंडार को निकालने के लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल खत्म किया जाएगा. अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार मध्य प्रदेश के ही पन्ना जिले में है. यहां कुल 22 लाख कैरेट हीरे का भंडार है. इनमें 13 लाख कैरेट हीरा निकाला जा चुका है. बकस्वाहा के जंगल में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे का भंडार होने का अनुमान है.

बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था. दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की. आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन का टेंडर हासिल किया. मध्य प्रदेश सरकार ने बकस्वाहा जंगल में हीरा भंडार वाली 62.64 हेक्टेयर जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे रही है. वन विभाग ने इस जमीन पर खड़े पेड़ों की गिनती कर ली है, जो 2,15,875 हैं. इनको काटना पड़ेगा. इनमें सागौन, केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन के पेड़ हैं. 

पहले आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने खनन लीज के लिए आवेदन किया था. मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियोटिंटो ने यहां काम करने से इनकार कर दिया था. आपको बता दें कि रियोटिंटो कंपनी पीएनबी स्कैम के भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी से संबंध हैं. इस कंपनी को दागदार माना गया है. आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 382.131 हेक्टेयर जमीन की मांग की है.  62.64 हेक्टेयर में हीरा खदान होगी, बाकी 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन और प्रोसेसिंग के दौरान निकले मलबे को डंप करने में किया जाएगा. कंपनी यहां 2500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.

इस जंगल के बदले बकस्वाहा तहसील में ही 382.131 हेक्टेयर राजस्व जमीन को वनभूमि में डायवर्ट करने का प्रस्ताव कलेक्टर छतरपुर ने कंपनी को दिया है. इस जमीन पर जंगल विकसित करने पर आने वाली लागत का भुगतान एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी करेगी. छतरपुर डीएफओ अनुराग कुमार ने बताया कि वर्तमान में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के सामने सुनवाई चल रही है. कमेटी से निर्देश मिलने पर नई रिपोर्ट देंगे. दिसंबर 2020 में दी गई रिपोर्ट पुराने डीएफओ ने दी है. साल 2000 से 2005 के बीच आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने हीरा भंडार की खोज के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र में सर्वे किया था, जिसमें किंबरलाइट की चट्‌टानें दिखाई दीं. हीरा किंबरलाइट की चट्‌टानों में मिलता है.

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