NEWS

पहले दिन से 14वें दिन तक..कैसे अपनी गिरफ्त कसता है जानलेवा कोरोना वायरस, जानिए स्टेप बाय स्टेप

कोरोना वायरस का कहर दुनिया पर जबसे टूटा है तबसे रोज मौत की खबरें आ रही हैं। पिछली लहर में केवल बुजुर्ग और बीमार लोग ही इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो रहे थे लेकिन दूसरी लहर में युवा और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। लोग समझ नहीं पा रहे कि कब और कैसे ये जानलेवा वायरस उनको अपनी गिरफ्त में ले लेता है औऱ मरीज संभल ही नहीं पाता।

चलिए कोरोना वायरस को स्टेप बाय स्टेप समझते हैं। 14 दिन के इन्क्यूबेशन समय में कोरोना वायरस कैसे और किस तरह काम करता है। अच्छे इम्यूम सिस्टम वाले बच जाते हैं औऱ बीमार और कमजोर लोग इसकी गिरफ्त में आकर मौत के मुंह में समा जाते हैं। 

कोरोना के लक्षणों के जरिए कोई समझ सकता है कि ये कैसे बढ़ता है और कैसे संक्रमित व्यक्ति का पूरा सिस्टम हिला डालता है। चीन की सीडीसी की रिपोर्ट ने पूरे 14 दिन के अंतराल को समझाया है कि कोरोना कैसे असर करता है। 

Read More:-Coronavirus: घर पर कोविड-19 का इलाज करने के ये हैं टिप्स, जीवन बचाने के लिए रखें ध्यान

पहला दिन – हल्का बुखार आता है। बुखार हल्का हो सकता है लेकिन साथ में गले में खराश होती है और शरीर में थकावट शुरू हो जाती है।

दूसरा दिन – बुखार कम ज्यादा होता है लेकिन खराश सूखी खांसी में बदल जाती है। मांसपेशियां दर्द करने लगती हैं। इस समय सलाह दी जाती है कि तुरंत कोरोना टेस्ट करवाएं। अगर रिपोर्ट निगेटव भी आती है तो भी सेल्फ आइसोलेशन में जाएं।

तीसरा दिन – दूसरे दिन की स्थिति बनी रहती है। बुखार कम होने पर कुछ लोग घर से बाहर निकल जाते हैं, ये सोचकर कि अब चिंता की बात नहीं। लेकिन ये खतरनाक है। थकान रहती है इसलिए बुखार न होने पर भी घर पर ही आइसोलेट रहिए।

चौथा दिन –  बुखार दोबारा हो सकता है। सूखी खांसी तेज होती जाती है। गला दर्द करने लगता है। मुंह में छाले होते हैं और सिर दर्द होने लगता है। 

पांचवां दिन – यहां से हालात बिगड़ने लगते हैं, सूखी खांसी के चलते छाती में दर्द होने लगता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। जरा सा काम करने के बाद भी भयंकर थकावट संकेत हैं कि कोरोना अपनी जकड़ मजबूत कर रहा है। 

Read More:-Coronavirus: हवा के जरिए फैल रहा है कोरोना, वैज्ञानिकों ने ढूंढें पक्के सबूत

छठा दिन – बुखार 99 से ऊपर जाता है, सांस लेने में समस्या, आप आस पास की चीजों को भूलने लगते हैं। छाती में जकड़न बढ़ती है औऱ बोलने पर भी खांसी होने लगती है।

सातवां दिन – छाती में तेज दर्द की लहर उठती है। बुखार दोबारा उठ सकता है क्योंकि आक्सीजन कम हो रही है। सांस लेने में दिक्कत बढ़ती है। तेज ठंड के साथ होठ नीले पड़ने लगते हैं। उठने की हिम्मत तक नहीं होती। ये सबसे निर्णायक दिन कहा जा सकता है। जो कमजोर लोग हैं, उनकी स्थिति इस दिन के बाद से तेजी से बिगड़ती है औऱ जो मजबूत इम्यूनिटी के लोग हैं..उनके लक्षण इस दिन के बाद से कम होने लगते हैं।

आठवां दिन – कमजोर लोगों की समस्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि संक्रमण आक्सीजन की सप्लाई पर प्रहार कर रहा है। फेफड़ों में पानी भरना शुरू होता है..बुखार भले न हो लेकिन छाती का संक्रमण निमोनिया बना देता है और ऑक्सीजन सप्लाई पर असर पड़ने लगता है। फेफड़ो में ऑक्सीजन नहीं पहुंचने के चलते मरीज हांफने लगता है, बात करने में दिक्कत होने लगती है।

नौंवा दिन – खून में ऑक्सीजन की कमी के चलते निमोनिया बिगड़ता है। ह्रदय रोग और शुगर के मरीजों का ज्यादा बुरा हाल होता है क्योंकि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम होने लगता है। बीमार लोगों के शरीर के अंग इन दिनो में काम करने में नाकाम साबित होने लगते हैं।

दसवां दिन – ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीज को अस्पताल में भरती करवाने की नौबत आती है। अगर पहले दिन से ध्यान रखा जाए तो 88 फीसदी लोगों को अस्पताल तक जाने की नौबत नहीं आती। लेकिन गंभीर रूप से बीमार लोगों के अन्य अंग इस संक्रमण की चपेट में आते ही और ज्यादा खराब हो जाते हैं जिसकी वजह से ICU में रखने की नौबत आती है।

ग्यारहवां दिन – जिनकी इम्यूमिटी मजबूत है, ऐसे मरीज ऑक्सीजन सप्लाई दुरुस्त होने पर और दवाइयों के बल पर संक्रमण पर विजय प्राप्त करते हैं। लेकिन जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है और ह्रदय रोग के शिकार लोगों को निमोनिया, बिगड़ने के कारण फेफड़े काम करने में असमर्थ होते हैं।

बारहवां दिन – जो लोग अच्छी इम्यूनिटी के हैं, दवाइयों के दम पर कोरोना संक्रमण को कम करके इस दिन अस्पताल से लौट आते हैं लेकिन जिनके फेफड़ों पर संक्रमण का ज्यादा हमला हुआ है, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाने की मजबूरी पैदा होती है। ब्रेन और फेंफड़ों तक ऑक्सीजन नहीं जा पाती जिसके चलते स्थिति क्रिटिकल होती जाती है। 

तेरहवां और चौदहवां दिन -आमतौर पर कम संक्रमण वाले लोग इस दिन के बाद से क्वारंटीन खत्म कर सकते हैं लेकिन फिर भी चूंकि वो कोरोना संक्रमण के प्रोन रह चुके हैं इसलिए उनको एहतियात बरतना चाहिए। दूसरी तरफ गंभीर स्थिति वालों की हालत चिंताजनक होती है। ऐसे मरीज जो दूसरी जानलेवा बीमारियों से ग्रसित हैं, ऐसे लोगों की मौत का आंकड़ा ज्यादा है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि 14 दिनों के अंतराल में कोरोना वायरस केवल उन लोगो को छोड़ देता है जो समय पर दवाए और प्रिकॉशन लेते हैं। 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top