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कोरोना प्रकोप: गूगल के सीईओ ने भारत की स्थिति पर जताई चिंता, कहा- और भी खराब हो सकते हैं हालात

पिचाई ने कहा, ‘भारत की स्थिति अभी बहुत खराब है, लेकिन मुझे लगता है कि सबसे खराब स्थिति आना अभी बाकी है।’ इसके अलावा उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत की मदद को अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों की तारीफ भी की।

कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहे भारत की स्थिति पर गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में महामारी के कारण भारत में स्थिति और भी खराब हो सकती है। बता दें पिचाई ने यह बातें एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कहीं। 

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सबसे खराब स्थिति आना अभी बाकी
पिचाई ने कहा, ‘भारत की स्थिति अभी बहुत खराब है, लेकिन मुझे लगता है कि सबसे खराब स्थिति आना अभी बाकी है।’ इसके अलावा उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत की मदद को अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों की तारीफ भी की।

भारत की मदद के लिए अमेरिका की तारीफ की
गूगल सीईओ ने कहा कि यह देखकर खुशी होती है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्चतम स्तर पर बैठे लोग किस तरह से भारत समेत अन्य देशों में व्याप्त स्वास्थ्य संकट की ओर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन, सचिव ब्लिंकन से लेकर अलग-अलग स्तरों पर अधिकारी इस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि वो भारत और अन्य प्रभावित देशों को कैसे मदद कर सकते हैं।

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मदद को आगे आए हाथ
उल्लेखनीय है कि सुंदर पिचाई ने अभी हाल ही में भारत में कोरोना का हाल देखते हुए 135 करोड़ रुपये के रिलीफ फंड की घोषणा की थी। वहीं, अमेरिका की तरफ से शुक्रवार (30 अप्रैल) को कोविड-19 से लड़ने में जरूरी सामानों भरी मदद की पहली खेप भारत पहुंची थी। इसमें 440 ऑक्सीजन सिलेंडर व रेगुलेटर, 9 लाख 60 हजार रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट आदि सामान शामिल थे। 

अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ (ईयू) के कई सदस्य देश कोरोना महामारी से निपटने में मदद के लिए भारत को की मदद को आगे आए हैं। संघ के नागरिक रक्षा तंत्र के जरिये यूरोपीय देश जैसे आयरलैंड, बेल्जियम, रोमानिया, लक्समबर्ग, पुर्तगाल और स्वीडन ने 27 अप्रैल को घोषणा की थी कि वे देश को ऑक्सीजन सांद्रक और वेंटिलेटर जैसी चिकित्सा आपूर्ति भेज रहे हैं। अब इस सूची में फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया और फिनलैंड भी शामिल हो गए हैं। ईयू ने एक बयान में कहा कि आगामी दिनों में जर्मनी सहित ईयू के अन्य सदस्य देशों से भी मदद भेजे जाने की उम्मीद है।

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