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कोरोना के बीच उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा- क्या आप मानते हैं की महामारी की व्यवस्था में सरकार विफल रही है

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के बीच उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या आप मानते हैं आप व्यवस्था देने में विफल हो गए। अदालत में इंजेक्शन ऑक्सीजन अस्पतालों में बेड तथा 108 एंबुलेंस की व्यवस्थाओं पर एक एक सवाल का जवाब सरकार से मांगा। गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में गुजरात में कोरोना महामारी की व्यवस्थाओं को लेकर स्वत संज्ञान लेकर राज्य सरकार को तलब किया इसके अलावा कई याचिकाकर्ताओं ने भी सरकार व अहमदाबाद महानगर पालिका की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए।

उच्च न्यायालय ने आज मंगलवार को हुई सुनवाई में सरकार से पूछा की क्या आप मानते हैं की महामारी की व्यवस्था में सरकार विफल रही है। अदालत ने कहां की आप बच्चों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। अहमदाबाद महानगर पालिका जो राज्य सरकार के अधीन आती है लेकिन राज्य सरकार के ही फैसलों को स्वीकार नहीं कर रही है अपने अलग फैसले और आदेश जारी कर रही है। 108 एंबुलेंस को लेकर राज्य के लोगों को 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी वह जमाखोरी से नागरिक परेशान है सरकार इंजेक्शन उपलब्ध भी करा रही है लेकिन नागरिकों को यह कैसे मिले इसकी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई। अदालत में है राज्य सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा कि अगली सुनवाई के दौरान आप रेमडेसीविर इंजेक्शन की वितरण व्यवस्था कब 15 दिन का चार्ट लेकर आइएगा। अधिवक्ता शालीन मेहता ने अदालत को बताया कि 108 एंबुलेंस को संचालित करने के लिए एक केंद्रीय कृत व्यवस्था की जरूरत है जो मरीजों को उनकी हालत के अनुसार अस्पताल में मदद कर सके।

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उन्होंने आरोप लगाया की 108 एंबुलेंस के संचालन में प्रशासन मनमानी कर रहा है जिसके कारण नागरिकों को सिविल व अन्य अस्पतालों में भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ता है साथी 108 एंबुलेंस कि पहुंचने मैं 112 2 दिन का समय लग जाता है। ऑक्सीजन को लेकर अदालत ने पूछा कि सरकार अपने फंड से ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना क्यों नहीं कर रही है। कोरोना के मरीज ऑक्सीजन के अभाव में तड़प रहे हैं और सरकार ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पा रही है। स्पेशल कोविड-19 अस्पतालों में लगने वाली आग की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने भरूच के वेलफेयर हॉस्पिटल में लगी आग के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। अधिवक्ता अमित पंचाल ने कहां की जीएमडीसी मैदान पर बनाए गए धनवंतरी अस्पताल में व्यवस्थाओं की कमी है मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। सरकार में 900 बेड के अस्पताल की घोषणा की जिसके कारण संक्रमित लोग सीधे वहां पहुंच रहे हैं जबकि अभी तक इस अस्पताल 900 बेड की सुविधा उपलब्ध शुरू नहीं हो सकी।

अधिवक्ता आनंद याग्निक ने माइग्रेंट वर्कर, वर्कर तथा श्रमिकों के बच्चों के राशन की व्यवस्थाओं को लेकर अदालत का ध्यान आकर्षित किया साथ ही माध्यमिक स्कूलों में मिड डे मील तथा आंगनबाड़ी में पोषाहार कार्यक्रम के तहत उनके लिए खाद्य पदार्थ एवं राशन उपलब्ध कराने की ओर ध्यान दिलाया। अधिवक्ता मिहिर जोशी ने कहा कि गुजरात के नागरिकों के अन्य राज्य से वापस गुजरात लौटने को लेकर राज्य सरकार ने 72 घंटे पहले तक का आरटी पीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता रखी है उनका कहना है कि यह व्यापारिक नजर नहीं आती है। उधर महानगर पालिका ने अहमदाबाद के नागरिकों के लिए इस तरह के की बाध्यता को नहीं मानने के निर्देश जारी कर राज्य सरकार के ही आदेश के फैसला किया है इससे नागरिकों में असमंजस की स्थिति है। 

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