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Car Buying Tips: पहली कार खरीदने से पहले हर भारतीय को इन 5 बातों का रखना चाहिए ख्याल, पढें ये रिपोर्ट

एक अदद कार का सपना तकरीबन हर किसी का होता है। हर कोई चाहता है कि वो अपने सपनों की कार में सड़क पर फर्राटा भरते हुए हवा से बातें करे। लेकिन अपनी पहली ड्रीम कार खरीदने से पहले कुछ खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है। जिससे आप अपनी जरूरत और बजट के अनुसार बेहतर सवारी का चुनाव कर सकें। सामान्य तौर नई कार खरीदते समय हर भारतीय ग्राहक के जेहन में सबसे पहला सवाल बजट और माइलेज को लेकर ही उठता है। ऐसे ही कुछ बिंदू हैं जिन पर गौर कर के आप एक सही कार का चुनाव कर सकते हैं, तो आइये जानते है उन 5 खास बातों के बारे में – 


1)- बजट का फैसला: 

किसी भी वाहन की खरीदारी में सबसे अहम फैसला बजट का होता है। आप स्वयं इस बात की तस्दीक करें कि आपका बजट क्या है और आप कितना पैसा खर्च कर सकते हैं। वाहन को फाइनेंस करवाने के लिए आप कितना डाउन पेमेंट दे सकते हैं और कितनी मासिक किस्त आपके जेब पर बोझ नहीं बनेगी। भारतीय बाजार में सबसे सस्ती कार मारुति अल्टो है, जिसकी शुरूआती कीमत 2.99 लाख रुपये है इसके अलावा अन्य मॉडल इससे महंगे हैं। इसलिए सबसे पहले अपने बजट को तय करें। 

2)- अपनी जरूरत को समझें: 

बाजार में एंट्री लेवल हैचबैक कार से लेकर प्रीमियम सेडान, एसयूवी और एमपीवी जैसे हर सेग्मेंट में महंगी और सस्ती कारें मौजूद हैं। बजट तय करने के बाद अपनी जरूरत के अनुसार सेग्मेंट का चुनाव करें। यदि आपकी फैमिली में सदस्यों की संख्या 4 से 5 लोगों की है और कम बजट में बेहतर माइलेज वाली कार खरीदना चाहते हैं तो आप हैचबैक जैसे मारुति अल्टो से लेकर स्विफ्ट या टाटा टिएगो जैसी कारों का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा यदि बड़ी फैमिली है और आपको ज्यादा स्पेस चाहिएं तो आप एसयूवी या एमपीवी कार जैसे मारुति ब्रेजा, हुंडई क्रेटा, मारुति अर्टिगा, टोयोटा इनोवा इत्यादि का चुनाव कर सकते हैं। 


कुल मिलाकर अपने जरूरत के अनुसार ही कार फाइनल करें। महंगी कारों में सनरूफ, क्रूज कंट्रोल, ज्यादा एयरबैग जैसे कई प्रीमियम फीचर्स मिलते हैं। वहीं सरकार द्वारा निर्देशित मानकों के अनुसार सभी वाहनों में कुछ सेफ्टी फीचर्स को बतौर स्टैंडर्ड रखा गया है, जैसे कि स्पीड अलर्ट सिस्टम, डुअल एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS), इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (EBD) और रियर पार्किंग सेंसर जैसे फीचर्स आपको हर कार में मिलेंगे। 

3)- पूरी रिसर्च करें: 


कार न केवल एक साधन है बल्कि आपके जीवन में ये एक बेहतर सहयोगी भी साबित होता है। इसलिए किसी भी कार को चुनने से पहले उस पर रिसर्च या शोध कार्य जरूर करें। यहां पर रिसर्च से हमारा मतलब ये है कि सेग्मेंट और जरूरत के अनुसार कुछ मॉडलों का चयन करें और उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हासिल करें। इसके लिए आप डीलरशिप, ऑनलाइन या फिर अपने हितैषियों से भी बात कर सकते हैं। केवल कार के लुक या डिजाइन पर न जाएं, उससे जुड़े अन्य खर्च जैसे मेंटनेंस, माइलेज और एक्सेसरीज इत्यादि के बारे में भी पूरी तस्दीक करें। 
 

4)- पेट्रोल या डीजल: 


ये एक ऐसा सवाल है जिससे तकरीबन हर कार खरीदार जूझता है। ऐसा कई बार देखा जाता है कि लोग फैसला नहीं कर पाते हैं कि वो पेट्रोल कार खरीदें या डीजल कार। इसका जवाब भी आपके ही पास है, बस थोडी सी कैल्क्युलेशन (गणना) करने की जरूरत है। आइये इसे ऐसे समझते हैं, आज दिल्ली में प्रतिलीटर पेट्रोल की कीमत 90.40 रुपये और डीजल की कीमत 80.73 रुपये है। यानी दोनों फ्यूल में महज 10 रुपये का अंतर है। एक समय ऐसा था कि जब इन दोनों में 25 से 30 रुपये तक का अंतर देखने को मिलता था। वो समय कुछ और था, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। 

सामान्य तौर पर पेट्रोल और डीजल कारों की कीमत में खासा अंतर होता है, और लोग माइलेज के चलते डीजल कारों का चुनाव करते हैं। लेकिन इसके लिए वो कार खरीदते समय अतिरिक्त भारी रकम भी अदा करते हैं। उदाहरण के तौर पर, Hyundai i20 के एंट्री लेवल मैग्ना पेट्रोल वेरिएंट की कीमत 6.85 लाख रुपये है वहीं इसी मैग्ना के डीजल मॉडल की कीमत 8.19 लाख रुपये है। इसका पेट्रोल मॉडल 20.35 kmpl और डीजल मॉडल 25.2 kmpl तक का माइलेज देता है। 


इन दोनों कारों की कीमत में तकरीबन 1.34 लाख रुपये का अंतर साफ तौर पर देखने को मिलता है, जबकि इंजन को छोड़कर फीचर्स और अन्य तकनीक बिल्कुल एक समान ही है। अब यदि आपको लगता है कि आप अपनी डीजल कार को इतना चला सकते हैं कि उसके लिए अदा की गई एक्स्ट्रा रकम की वसूली महज माइलेज के चलते की जा सकती है तो आप डीजल का चुनाव कर सकते हैँ। सामान्य तौर पर डीजल कारों की सलाह उन्हें ही दी जाती है जो इनका व्यवसायिक प्रयोग करते हैं, क्योंकि उन्हें प्रतिदिन ज्यादा सफर करना होता है। यदि आप भी प्रतिदिन 100 किलोमीटर से ज्यादा सफर करते हैं तो आप डीजल मॉडल चुन सकते हैं। ध्यान रखें कि, डीजल कारों के मेंटनेंस पर भी खर्च ज्यादा होता है। 

5)- टेस्ट ड्राइव लें: 


उपर दिए गए सभी बिंदूओं को अमल में लाने के बाद आपका अगला कदम होगा कुछ चुनिंदा कारों की टेस्टिंग का। जी हां, अपने बायिंग लिस्ट में दो या उससे ज्यादा कारों को शामिल करें और बारी बारी से सभी कारों की टेस्ट ड्राइव करें। टेस्ट ड्राइव के दौरान कोशिश करें कि कार को हर तरह के रोड कंडिशन पर चलाएं, जैसे कि शहर के प्लेन सड़क से लेकर आउट स्कर्ट में खराब रास्तों पर भी। इसके लिए आप कार को किसी मैदान में भी चला सकते हैं। ड्राइविंग के समय कार की हैँडलिंग, सस्पेंशन, स्टीयरिंग कमांड, ब्रेकिंग कंट्रोल और माइलेज पर पूरा ध्यान रखें। क्योंकि कंपनियां जो दावा करती हैं, कई बार रियल वर्ल्ड में नतीजे उनसे अलग होते हैं। इसलिए पूरी तसल्ली से टेस्ट ड्राइव करें और अपनी पहली ड्रीम कार को फाइनल करें

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