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वैक्सीन की मांग: कहीं रसोई गैस पहुंचाने वाले ना बन जाएं सुपर स्प्रेडर, रोजाना आते हैं तीन करोड़ लोगों के संपर्क में

घर-घर तक रसोई गैस पहुंचाने वालों को जल्द से जल्द वैक्सीन देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। अति आवश्यक वस्तुओं में शुमार रसोई गैस की आपूर्ति तब भी की गई जब कोरोना संक्रमण चरम पर था। फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर ऑफ इंडिया ने कहा है कि गैस की आपूर्ति करने वाले सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं, लिहाजा सभी को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाने की आवश्यकता है। केंद्र, राज्य व आपूर्तिकर्ता कंपनी ने फेडरेशन ने फ्रंट लाइन कर्मी मानते हुए मांग को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है। क्योंकि जब कोविड काल में इस बीमारी को भूल कर कोरोना योद्धाओं की तरह लोगों की सेवा में जुटे रहे। तभी लॉकडाउन में घर पर बैठे लोगों की रसोई में खाना पक सका।

तीन करोड़ लोगों से प्रतिदिन संपर्क में रहते हैं
एलपीजी डिलीवरी बॉयज की पूरे देश में 65-75 लाख घरों में जाते हैं। अनुमान के अनुसार रोजाना 3 करोड़ से ज्यादा लोगों के संपर्क में रहते हैं। जिस कारण उनके सुपर स्प्रेडर बनने की संभावना काफी बढ़ जाती है। उनका लोगों के संपर्क मे आना उन्हें करोना के रोकथाम मे सबसे कमजोर कड़ी बनाता है। टीकाकरण सबसे पहले होना चाहिए थे। कोरोना की दूसरी लहर में मिले आंकड़ों के अनुसार एलपीजी वितरक, उनका स्टाफ और उनके परिवार के करीब 50 हजार से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए जिनमें से 500 से अधिक की मौत हो गई है।

संक्रमण के दौर में नहीं हुआ पलायन
मेट्रो शहरों में रहने वाला ज्यादातर मजदूर वर्ग तो अपने मूल स्थान पर वापस हो गया, लेकिन रसोई गैस वितरित करने वाले कोविड काल में भी गांव की तरफ नहीं लौटे। दरअसल रोजगार नहीं खत्म होने की स्थिति में उनका पलायन नहीं हुआ। जब कोरोना का पीक था तब भी वह घर-घर पहुंच कर रसोई का ऑक्सीजन गैस पहुंचाते रहे।

एसोसिएशन की मांग
. महामारी के समय में टारगेट डिलीवरी टाइम के तहत कारण बताओ नोटिस भेजना बंद किया जाए।
. सीमित जनशक्ति के साथ काम कर रहे हों और महामारी के कारण फोर्स मजूरी लागू किया जाए। 
. कंपनी के अधिकारी वितरकों पर अव्यावहारिक लक्ष्य थोप रहे है।
. तेल की कीमतें आसमान छू रही है, बावजूद वार्षिक वितरक मार्जिन में कोई वृद्धि नहीं। 
. वितरकों को ग्राहकों से प्राप्त नकद भुगतान को अवैध रूप से डिजिटल भुगतान के रूप में दिखाने से रोका जाए।

एलपीजी डिलीवरी बॉय आसानी से लाखों लोगों को संक्रमित करने वाले सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं। अधिकारी इस ओर अपनी आखें मुंदे बैठे हैं। इन परस्तिथिओं मे वितरक खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। डिलीवरी स्टाफ को उचित सुरक्षा गियर के बिना दैनिक आधार पर होम डिलीवरी करने के लिए कहकर मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। इन्हें कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा देना चाहिए। रोजाना लाखों परिवारों को सिलिंडर बांटते हैं को उनकी व उन लाखों परिवारों की सुरक्षा। लिहाजा तत्काल वैक्सीन देना चाहिए। प्रधानमंत्री योजना के तहत मुफ्त सिलिंडर बांटा गया। ऐसे डिलिवरी ब्यॉय को फ्रंट लाइन कर्मी घोषित किया जाना चाहिए। -पवन सोनी, महासचिव फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर ऑफ इंडिया

कोरोना जब पीक पर था तब घर-घर घूमकर लोगों के घर का चूल्हा नहीं बूझने दिया। जान जोखिम में डालकर लगातार काम करते रहे। हमें यह भी पता नहीं होता था कि किस घर में कोविड मरीज है और किस घर में नहीं। संक्रमित लोगों से भी रुपया हाथ में थामने की मजबरी रही। संक्रमित इलाकों की बहुमंजिली इमारतों में भी सीढ़ीयों पर बोझ लेकर सिलिंडर पहुंचाते रहे। डिलिवरी मैन को तो सबसे पहले टीका लगना चाहिए। गरीबों का सुध लेने वाला कोई नहीं है। -सोनू, डिलिवरी ब्यॉय

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