Delhi NCR

ओपन स्‍कूल से पढ़ने वाले छात्रों को 33 फीसदी पर भी मिलेगा दिल्‍ली सरकार के स्‍कूलों में दाखिला

एडवोकेट अशोक कहते हैं कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दिल्‍ली सरकार को आदेश दिया है कि 38 फीसदी अंकों से 10वीं पास करने वाली छात्रा अनु कुमारी को दिल्‍ली सरकार के स्‍कूल में ह्यूमैनिटीज विषयों के साथ दाखिला दिया जाए. ऐसे में यह फैसला एक नजीर होगा और एनआईओएस से पढ़ने वाले सभी छात्रों को लाभ देगा.

नई दिल्‍ली. ओपन स्‍कूल (Open School) से पढ़ाई करने वाले छात्रों को दिल्‍ली हाईकोर्ट (Delhi  High Court) ने राहत दी है. एनआईओएस (NIOS) से पढ़ाई करने के बाद अब इन छात्रों को सीधे दिल्‍ली के सरकारी स्‍कूलों में दाखिला मिल सकेगा. दिल्‍ली सरकार के स्‍कूल 33 फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्रों को भी स्‍कूल में दाखिला देने से मना नहीं कर पाएंगे.

एजुकेशन एक्टिविस्‍ट और एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ ओपन स्‍कूलिंग (NIOS) से दसवीं क्‍लास पास करने वाले छात्रों के लिए खुशखबरी है. दिल्‍ली सरकार के स्‍कूल अब इन बच्‍चों को 11वीं में दाखिला देने से मना नहीं कर पाएंगे. जबकि अभी तक ऐसा ही होता आ रहा था कि एनआईओएस से पढ़ाई करने वाले छात्रों को रेगुलर सकूलों में दाखिला नहीं मिलता था और आगे की पढ़ाई भी ओपन स्‍कूलिंग से ही करनी होती थी.

एडवोकेट अशोक कहते हैं कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दिल्‍ली सरकार को आदेश दिया है कि 38 फीसदी अंकों से 10वीं पास करने वाली छात्रा अनु कुमारी को दिल्‍ली सरकार के स्‍कूल में ह्यूमैनिटीज विषयों के साथ दाखिला दिया जाए. ऐसे में यह फैसला एक नजीर होगा और एनआईओएस से पढ़ने वाले सभी छात्रों को लाभ देगा.

वे बताते हैं कि अनु कुमारी पहले दिल्‍ली सरकार के स्‍कूलों में ही पढ़ती थी लेकिन घरेलू कारणों से उसने स्‍कूल छोड़ दिया और 10वीं ओपन स्‍कूलिंग से की. जिसमें उसके 38 फीसदी अंक आए. 11 वीं के लिए जब अनु दोबारा दिल्‍ली के सरकारी स्‍कूल में गई और दाखिले की मांग की तो उसे दिल्‍ली सरकार के एक सर्कुलर के आधार पर दाखिला देने से मना कर दिया गया.
बता दें कि दिल्‍ली सरकार के सर्कुलर के अनुसार एनआईओएस से पढ़ने वाले छात्रों को कम से कम दसवीं में 55 फीसदी अंक लाने होंगे. इस सर्कुलर में एक बात यह भी थी कि अगर बच्‍चे दिल्‍ली सरकार के प्रोजेक्‍ट सेंटर से ओपन स्‍कूलिंग के तहत पढ़ाई करते हैं तो प्राप्‍तांक प्रतिशत की यह बाध्‍यता लागू नहीं होती लेकिन सीधे एनआईओएस से करने पर लागू होती है.

अब चूंकि अनु ने सीधे ही एनआईओएस से पढ़ाई की थी लिहाजा दिल्‍ली सरकार ने दाखिला देने से मना कर दिया. हालांकि अब हाईकोर्ट ने अनु की याचिका को स्‍वीकार करने के साथ ही दिल्‍ली सरकार को आदेश दिया है कि उसे सत्र 2021-22 के लिए 11वीं में तत्‍काल दाखिला दिया जाए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जो वर्गीकरण दिल्‍ली सरकार ने अपने सर्कुलर में किया है वह न्‍यायसंगत नहीं है.

एडवोकेट अशोक कहते हैं कि यह बच्‍चों की बड़ी जीत है. इस फैसले से आने वाले वक्‍त में बच्‍चों को फायदा होगा और इस फैसले के आधार पर कोई भी बच्‍चा दिल्‍ली सरकार के आदेश के खिलाफ जाकर लाभ ले सकता है.

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