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वैक्सीन नहीं तो सैलरी भी नहीं…टीकाकरण को बढ़ावा देने को सरकारी विभाग का अनोखा फरमान

कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत के लिए कितनी खतरनाक साबित हुई है उसका अंदाजा मौतों के दैनिक आंकड़े से ही लगाया जा सकता है। इस सब के बीच वैक्सीन ही एकमात्र उपाय नजर आता है। लेकिन कहीं लोग जागरूकता की कमी के चलते वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं तो कहीं चेतावनी देकर वैक्सीन लगवाई जा रही है। ऐसा ही कुछ हुआ छत्तीसगढ़ में। यहां के एक जिले में आदिवासी कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने एक आदेश जारी कर अपने स्टाफ सदस्यों को COVID-19 का टीका लगवाने को कहा है। साथ ही एक अजीब चेतावनी भी दे डाली है।

‘वैक्सीन नहीं तो सैलेरी नहीं’ 

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में सहायक आयुक्त के एस मसराम ने अपने स्टाफ से कहा कि वे जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें। साथ ही ऐसा नहीं करने पर उनका अगले महीने का वेतन रोक दिया जाएगा। जारी आदेश में जिले में आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा संचालित कार्यालयों, आश्रमों (आवासीय विद्यालयों) और छात्रावासों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को टीका लगवाने और अपने कार्यालय में टीकाकरण कार्ड जमा करने को कहा गया है। यानी अगर वे टीकाकरण कार्ड नहीं दिखाते तो उनकी अगले माह की तंख्वाह रोक दी जाएगी।

वायरल हुई आदेश की कॉपी, लोग बोले- ये तानाशाही है

इस बीच अधिकारी  द्वारा 21 मई को जारी आदेश की एक कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जहां कुछ लोगों ने इसे तानाशाही बताकर नाराजगी जाहिर की। वहीं कई लोगों ने कहा स्लॉट ही नहीं मिल रहे तो कैसे वैक्सीन लें। इससे पहले मसराम ने 20 मई को विभाग में कार्यरत सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के परिवारों के कोविड-19 टीकाकरण का आदेश भी जारी किया था।

‘वैक्सीन ले चुका है 95% स्टाफ’

संपर्क किए जाने पर मसराम ने बुधवार रात पीटीआई को बताया कि इस आदेश के पीछे का उद्देश्य कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने दावा किया कि आदेश जारी होने के बाद विभाग के 95 प्रतिशत स्टाफ सदस्यों ने वैक्सीन शॉट्स लिए। हालांकि उन्होंने कहा कि हम कोई वेतन नहीं रोकने वाले, हमारा इरादा बस कर्मचारियों को टीका लगवाने का था।

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