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काम की बात: किरायेदार और मकान मालिक, दोनों को किराये पर टैक्स छूट

सार
एक लाख से ज्यादा सालाना किराये पर मकान मालिक का पैन कार्ड देना होगा?

विस्तार
आज से आयकर विभाग का नया पोर्टल शुरू होने के साथ ही करदाता 2020-21 में काटे गए टैक्स का रिटर्न पाने की जुगत में लग जाएंगे। कर बचत के तरीकों में मकान का किराया प्रमुख रूप से शामिल होता है, जिस पर किरायेदार के साथ ही मकान मालिक को भी टैक्स छूट मिलती है। दोनों पक्ष इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं, पूरा गणित बताती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-

वेतनभोगी को ही मिलती है सुविधा
क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि आप मकान किराये के रूप में दी गई राशि पर आयकर छूट चाहते हैं, तो सबसे पहली शर्त वेतनभोगी होना है। आपके वेतन में हाउस रेट अलाउंस (एचआरए) शामिल होता है, जिस पर आयकर की धारा 10(13ए) के तहत निश्चित सीमा तक टैक्स छूट दी जाती है।

इसके लिए 100 या 200 रुपये के स्टांप पर रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए, जिस पर मकान मालिक और किरायेदार के हस्ताक्षर हों। एग्रीमेंट में मासिक किराये व अन्य खर्चों का जिक्र जरूरी है। रिटर्न दाखिल करते समय मकान मालिक को दिए गए मासिक किराये की रसीद और एग्रीमेंट की कॉपी दस्तावेज के रूप में देनी होगी। एक और जरूरी बात, आपके वेतन में एचआरए का हिस्सा शामिल होना भी जरूरी है। तभी टैक्स छूट ले सकेंगे।
खुद के मकान में रहते हैं, तो नहीं मिलेगा डिडक्शन का लाभ।
माता-पिता के मकान में रहने पर भी एचआरए पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
कारोबारी या पेशेवर अपने मकान किराये पर टैक्स छूट नहीं ले सकते।

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ऐसे होगी छूट की गणना
महानगर में किराये पर रहने वाले नौकरीपेशा को मूल वेतन का 50 फीसदी व अन्य शहरों में 40 फीसदी मिलता है। आप दिल्ली में रहते हैं और आपका मूल वेतन 40 हजार रुपये महीने है, जिस पर कंपनी 20 हजार रुपये एचआरए देती है। आपका वास्तविक किराया 15 हजार रुपये महीने है, तो साल भर में 1.80 लाख रुपये देंगे। वेतन के रूप में सालाना 4.80 लाख और एचआरए के रूप में 2.40 लाख रुपये मिले। अब कर छूट की राशि वास्तव में चुकाए गए किराये में से वेतन का 10 फीसदी घटाकर आएगी। मसलन, 1.80 लाख रुपये में से 48 हजार रुपये घटाकर 1.32 लाख रुपये का टैक्स छूट दावा कर सकते हैं।

मकान मालिक को किराये की राशि पर 30 फीसदी टैक्स छूट
किराये के रूप में साल भर मिली राशि पर मकान मालिक को भी 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलता है और इस राशि पर आयकर नहीं लगता। ऐसे करदाताओं को रिटर्न भरते समय अपनी आय की गणना सावधानी से करनी चाहिए, क्योंकि सालभर किराये के रूप में मिली पूरी राशि आयकर के दायरे में नहीं आती। इसमें से चुकाए गए नगरपालिका टैक्स को घटाकर शेष राशि को मकान मालिक की अन्य स्रोत से कमाई और उस साल की सकल किराया राशि माना जाता है।

मरम्मत या नवीनीकरण का क्लेम करना होगा
आयकर विभाग मकान मालिक को टैक्स छूट दिए जाने वाले साल में मकान की मरम्मत या नवीनीकरण पर खर्च के रूप में 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ देता है। आईटीआर में इसे क्लेम करने के लिए मकान मालिक को नवीनीकरण या मरम्मत पर खर्च की गई राशि का बिल-वाउचर पेश करना होगा। अगर मकान खरीदने के लिए कर्ज लिया है, तो इस पर चुकाए गए टैक्स को भी स्टैंडर्ड डिडक्शन में क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, यह राशि किसी भी तरह सकल किराया राशि का 30 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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ऐसे करेंगे गणना
मान लीजिए किसी वित्तवर्ष में मकान किराये के रूप में 3 लाख रुपये मिलते हैं। इस पर 10 फीसदी की दर से साल भर में 30 हजार रुपये नगरपालिका टैक्स के रूप में कट जाते हैं, तो 2.70 लाख रुपये पर ही आयकर लगेगा। मकान मालिक इस राशि का 30 फीसदी यानी 81 हजार रुपये तक स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में टैक्स छूट ले सकता है।

पुराने टैक्स स्लैब में ही मिलेगी छूट
करदाताओं को रिटर्न भरते समय यह बात याद रखनी होगी कि दोनों ही टैक्स छूट का लाभ सिर्फ पुराने आयकर स्लैब में ही मिलेगा। मकान मालिक को किराये पर भी टैक्स मिलती है, इसकी जानकारी कम लोगों को ही है। लिहाजा टैक्स छूट का दावा करते समय पेशेवर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है। – गिरीश नारंग, सीए

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