FINANCE

पेंशन फंड को अब IPO और टॉप 200 लिस्टेड कंपनियों में निवेश की इजाजत मिलेगी

देश में पेंशन फंड को शेयर मार्केट में निवेश को लेकर नियम बदलने वाले हैं. अब पेंशन फंड को इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेगा. देश के पेंशन फंड को अब चुनिंदा लिस्टेड कंपनियों और IPO में निवेश की इजाजत मिलेगी.

नई दिल्ली . देश में पेंशन फंड को शेयर मार्केट में निवेश को लेकर नियम बदलने वाले हैं. अब पेंशन फंड को इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेगा. देश के पेंशन फंड को अब चुनिंदा लिस्टेड कंपनियों और IPO में निवेश की इजाजत मिलेगी. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के चेयरमैन सुप्रतिम बंधोपाध्याय (Supratim Bandyopadhyay) ने कहा कि पेंशन फंड मैनेजर्स को अब भारत की टॉप 200 लिस्टेड कंपनियों और IPO में निवेश की इजाजत मिलेगी.

फिलहाल पेंशन फंड्स को सिर्फ उन्हीं कंपनियों में निवेश की इजाजत है जिनका मार्केट कैप 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो और जो फ्यूचर्स ऑप्शंस (F&O) में भी हो. हालांकि अब रेगुलेटर फंड मैनेजर्स को टॉप 200 लिस्टेड कंपनियों में निवेश की इजाजत देने वाले हैं.

बंधोपाध्याय ने बताया कि इसके लिए रेगुलेटर IPO के लिए कुछ पैमाना तय करेगा. उन्होंने कहा नेशनल पेंशन सिस्टम से मेच्योरिटी के बाद एन्युटी के बजाट सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान (SWP) संसद में मौजूदा PFRDA Bill का हिस्सा है. इस SWP को लागू करने के लिए ही फंड हाउस को निवेश का दायरा बढ़ाने की छूट दी जा रही है.

क्या है मौजूदा नियम

फिलहाल NPS सब्सक्राइबर्स को अपने फंड का 40 फीसदी एन्युटी में डालना पड़ता है. 60 साल की उम्र में प्लान मेच्योर होने के बाद इससे एकमुश्त रकम निकाली जा सकती है. लेकिन PFRDA Bill के नए प्लान के मुताबिक, पेंशनकर्ता अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा निकाल सकते हैं.

इसके अलावा सरकार PFRDA को सुपरएनुएशन फंड का भी रेगुलेटर बना सकती है. फिलहाल इस फंड के लिए कोई रेगुलेटर नहीं है. सुपरएनुएशन (Superannuation) फंड एक तरह का रिटायरमेंट फंड है जिसे कॉरपोरेट चलाते हैं. इसके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से कुछ तय नियम हैं. हालांकि अब सरकार PFRDA को ही इसका रेगुलेटर बनाने पर विचार कर रही है.

PFRDA को रेगुलेटरी ताकत मिलने के बाद वह कंपनियों से इससे जुड़े दस्तावेजों की मांग करेगी. PFRDA इस बात की जांच करेगा कि कंपनियां फाइनेंस मिनिस्ट्री के गाइडलाइंस का पालन कर रही हैं या नहीं. वो कंपनियां तय गाइडलाइंस का पालन नहीं करेंगी तो उनका सुपरएनुएशन फंड NPS में ट्रांसफर किया जाएगा और वह NPS सिस्टम का हिस्सा बन जाएगा

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