Uttar Pradesh

एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, CM योगी ने दी चेतावनी, कहा- लापरवाही के कारण किसी भी मरीज की मौत हुई तो सख्त कार्रवाई होगी

उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा ( Ambulance Service) के एम्बुलेंसकर्मी सोमवार से हड़ताल (strike) पर हैं. एम्बुलेंसकर्मियों की ये बेमियादी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है. जिसके बाद एंबुलेंस का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने एंबुलेंस संघ के प्रदेश अध्यक्ष समेत 14 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. इसी के ही साथ सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की भी चेतावनी दी है, लेकिन इन सब के बावजूद भी कर्मचारी हड़ताल खत्म नहीं कर रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ एम्बुलेंस के पहिये रुक जाने की वजह से मरीजों और तीमारदारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से मरीजों की हालत बिगड़ रही है. एमर्जेन्सी सेवा से जुड़े एम्बुलेंस सेवा से जुड़े कर्मियों के हड़ताल पर जाने की वजह से यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने लगी है.

सीएम योगी ने दी चेतावनी

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाग को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर लापरवाही के कारण प्रदेश में किसी भी मरीज की मौत हुई तो संबंधित अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और गृह विभाग इस आदेश का कड़ाई से पालन कराए. सरकारी कर्मचारी और आउटसोर्सिंग से संबंधित कर्मचारी अपनी ड्यूटी और दायित्वों को निभाएं. हर मरीज को तुरंत इलाज मिलना चाहिए.

8 एंबुलेंस का किया गया इंतजाम

हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड में आ गया है. लखनऊ के सीएमओ ने नोडल अधिकारी तैनात किए हैं. उनके नंबर भी जारी किए गए हैं. वहीं इमरजेंसी के लिए 8 एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. हर एंबुलेंस पर 4-4 कर्मचारी तैनात किए गए हैं. इन एंबुलेंस के अलावा 7 एंबुलेंस को इमरजेंसी के लिए रिजर्व किया गया है.

नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं एंबुलेंस कर्मचारी

यूपी में 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं. उनकी मांग है कि उनको नियमित किया जाए. सेवा देने वाली कंपनी के बदलने पर उनको हटाया नहीं जाना चाहिए. साथ ही उनकी वेतन विसंगति दूर हो. एंबुलेंस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हनुमान पांडेय ने कहा सोमवार को हुई नेशनल हेल्थ मिशन के अधिकारियों के साथ वार्ता में सहमति नहीं बन सकी. इसीलिए हड़ताल जारी रहेगी. सरकार ने हड़ताल कर रहे कर्मियों पर एस्मा लगाने और कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी.

बावजूद इसके कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि कोविड काल में हमने अपनी और अपने परिवार की जान की परवाह किये बिना अपनी सेवाएं दी, लेकिन हमारी बात सरकार नहीं सुन रही हैं.

मरीजों को हो रही हैं बहुत दिक्कत

इसके चलते मरीजों और तीमारदारों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, लखनऊ के सिविल हॉस्पिटल में राजेश अपने पिता को लेकर आये हैं. इनका कहना है कि सुबह से ये अपने पिता के लिए एम्बुलेंस सेवा 108 को फोन कर रहे हैं , लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है. ऐसे में ये अपने पिता को जानकीपुरम से करीब दस किलोमीटर चलकर ई-रिक्शा से लेकर आये हैं.

इलाज में देरी हुई तो कट सकता है पिता का पैर

इसी तरह से लखनऊ के संजय कुमार अपने पिता को एम्बुलेंस न मिलने के चलते ई-रिक्शा से लेकर आये हैं. इनके मुताबिक कल से ये एम्बुलेंस बुला रहे हैं लेकिन एम्बुलेंस की हड़ताल के चलते उनको मजबूरन इस हालत में अपने मरीज को इस तरह रिक्शा से अस्पताल लाना पड़ा. इसी तरह राहुल सोनी के पिता लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं जिनको डॉक्टर ने मेडिकल कालेज रेफर कर दिया, लेकिन एम्बुलेंस न मिलने की वजह से ये मेडिकल कॉलेज अपने मरीज को नहीं ले जा पा रहे हैं. अगर इलाज में ज्यादा देरी हुई तो इनके पिता का पैर भी काटना पड़ सकता है.

4500 में से 4300 एम्बुलेंस नहीं चल रही

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का कहना है की 2020 में निजी कंपनी ने पेमेंट इशू के कारण सर्विसेज देने में असमर्थता जताते हुए सर्विस सरेंडर करने का पत्र शासन को भेजा. पेमेंट का मामला कोर्ट भी पहुंचा पर बाद में आपसी सहमति बनी और निजी कंपनी फिर से 108 और 102 सर्विस संचालन करने को तैयार हुई. सरकार यह कह रही है कि टेंडर नॉर्म्स के तहत इन सेवा प्रदाता कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा और प्रदर्शन कर रही कर्मचारी भी लपेटे में आएंगे. कोई मौत हुई तो ड्राइवर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा.

मामला कंपनी का हो या सरकार का या फिर एम्बुलेंस कर्मियों का लेकिन इस हड़ताल के चलते 4500 एम्बुलेंस में 4300 के पहिये थम गए हैं और खामियाज़ा यूपी के मरीजों और तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है.

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