महाभारत में इस्तेमाल हुआ था पहला ‘परमाणु बम’ : न्यूक्लियर बम जैसे विनाशकारी हथियारों का महाभारत में भी इस्तेमाल हो चुका है।
ये तथ्य सामने आया था Father of Atomic Bomb कहे जाने वाले J .Robert Oppenheimer की रिसर्च में। अमेरिका के इस साइंटिस्ट ने गीता और महाभारत का बारीकी से अध्ययन किया था।
उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता पर रिसर्च किया और अपने मिशन को नाम दिया था ट्रिनिटी (त्रिदेव)। इस रिसर्च के बाद साइंटिस्ट मानते हैं कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था।
रॉबर्ट के साथ 1939 से 1945 के बीच साइंटिस्ट की एक टीम ने ये रिसर्च की थी।
वहीं, इसके बाद 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने भी अपनी रिसर्च के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था, वह परमाणु बम के समान ही था।
डॉ. वर्तक की लिखी किताब ‘स्वयंभू’ में इसका उल्लेख मिलता है।
ब्रह्मास्त्र ही था परमाणु बम?
रॉबर्ट ओपनहाइमर और डॉक्टर वर्तक की रिसर्च में ब्रह्मास्त्र को परमाणु हथियार माना गया। ऐसा इसलिए क्योंकि महाभारत में लाखों लोगों के एक साथ मारे जाने का उल्लेख है और यह एक परमाणु हथियार से ही संभव था|
ब्रह्मास्त्र एक दैवीय हथियार था। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र था। जो व्यक्ति इस अस्त्र को छोड़ता था, वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था
लेकिन अश्वत्थामा को इसे वापस लेने का तरीका नहीं याद था। रामायण और महाभारतकाल में ये अस्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास था।
सिंधु घाटी में मिले कई सबूत
सिंधु घाटी सभ्यता (मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा) में हुई रिसर्च में ऐसे कई नगर मिले हैं, जो लगभग 5000 से 7000 ईसापूर्व अस्तित्व में थे। यहां मिले नरकंकालों की स्थिति से पता चलता है कि मानो इन्हें किसी भयंकर प्रहार से मारा गया था।
महाभारत में इस्तेमाल हुआ था पहला ‘परमाणु बम’
इसके भी सबूत मिले हैं कि यहां किसी काल में भयंकर ऊष्मा और रेडिएशन पैदा हुआ था, जैसा कि किसी परमाणु बम के विस्फोट के बाद पैदा होता है।
माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय के हालात बन जाते थे। इससे पृथ्वी के खत्म होने का डर रहता था। महाभारत में इसका पूरा उल्लेख है।
प्राचीन भारत में कई जगहों पर ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का उल्लेख मिलता है। रामायण में भी मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा। तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी।
महर्षि वेद व्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है, वहां 12 वर्षों तक जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति नहीं हो पाती। महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए।
गौरतलब है कि हिरोशिमा में रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण गर्भ मारे गए थे और उस इलाके में 12 वर्ष तक अकाल रहा।
दूसरी ओर एक और रिसर्च के मुताबिक राजस्थान के जोधपुर में तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर रेडियो एक्टिविटी की राख की मोटी परत जमी है।