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Google क्रोम में हुआ बदलाव, डाटा की कम खपत से वीडियो क्वालिटी तक ये बदलेगा

गूगल क्रोम सबसे अधिक पॉपुलर ब्राउजर माना जाता है. इसमें लगातार नए बदलाव होते रहते हैं. गूगल क्रोम (Google Chrome) में नया बदलाव लेकर आया है जो लोगों के लिहाज से काफी फायदेमंद होगा. इस नए अपडेट में आपको बेहतर वीडियो (Video) क्वालिटी मिलेगी साथ ही आपकी डाटा (Data) की खपत भी कम होगी.

नई दिल्ली: गूगल क्रोम सबसे अधिक पॉपुलर ब्राउजर माना जाता है. इसमें लगातार नए बदलाव होते रहते हैं. गूगल क्रोम (Google Chrome) में नया बदलाव लेकर आया है जो लोगों के लिहाज से काफी फायदेमंद होगा. इस नए अपडेट में आपको बेहतर वीडियो (Video) क्वालिटी मिलेगी साथ ही आपकी डाटा (Data) की खपत भी कम होगी. वहीं इंटरनेट (Internet) की धीमी गति में भी आप बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे.

वीडियो तेजी से होंगे अपलोड
वीडियो अब आसानी से आप अपने मोबाइल पर देख पाएंगे. वहीं ये लोड होने में भी ज्यादा समय नहीं लेगा. इसके अलावा आप तेजी से फाइल्स अपलोड कर पाएंगे. गूगल यहां क्रोम 90 पर यूजर्स को सीधे कॉपी और पेस्ट का ऑप्शन देता है.

अधिक बेहतर होगी वीडियो क्वालिटी
अपडेट के बाद यूजर्स को पहले की तुलना में वीडियो कॉलिंग की क्वॉलिटी ज्यादा अच्छी मिलेगी. साथ ही यूजर्स को PDF XFA का बढ़िया सपोर्ट भी मिलेगा. इस अपडेट में यूजर्स को पहले से ज्यादा सेफ्टी मिलेगी. इसमें स्क्रीन शेयरिंग पहले से ज्यादा अच्छा होगी. अगर आप अपना स्मार्टफोन के हॉटस्पॉट से इंटरनेट लेकर लैपटॉप में इस्तेमाल करते हैं तो भी वीडियो कॉलिंग की क्वालिटी बेहतर मिलेगी. इसके अलावा स्क्रीन शेयरिंग भी पहले से ज्यादा स्मूथ होगी.

डाटा की बचत
क्रोम 90 नए कोडेक्स के साथ आता है जो बेहतर कंप्रेशन देता है.इस से यूजर को बेहतर वीडियो क्वालिटी मिलती है और डेटा की बचत भी होती है.

अब मिलेगा Floc

FloC का मतलब फेडेरेटेड लर्निंग ऑफ कोहोर्ट्स है जो थर्टी पार्टी कूकीज को विज्ञापन दिखाने से रोकेगा. अब एडवरटाइजर डिजिटल एड्स के लिए विज्ञापन नहीं बनाएगा बल्कि FloCs एक 1000 लोगों का ग्रुप बनाएगा जिसमें एक ही विज्ञापन उनकी पसंद का दिखेगा. 

HTTPS का होगा प्रयोग 
इस फीचर में यूजर क्रोम 90 पर कोई वेबसाइट को खोलेगा तो क्रोम 90 ऑटोमैटिक HTTPS वर्जन जनरेट करेगी जो कि पुराने  HTTP वर्जन से ज्यादा सुरक्षित और तेज होगा. इसके इस्तेमाल से वेबसाइट तेजी के साथ खुलेंगी. इससे पहले गूगल कम सुरक्षित HTTP वर्जन को शुरू करता था और फिर HTTPS पर जाने के लिए रिक्वेस्ट करता था.

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