Rajasthan

Corona से अनाथ हुए बच्चे, सीधे लिए गोद तो 5 साल की सजा और एक लाख का जुर्माना

कोरोना महामारी (Coronavirus) ने अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर कई प्रकार की चर्चा चल रही है. 

Jaipur : कोरोना महामारी (Coronavirus) ने अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर कई प्रकार की चर्चा चल रही है. ऐसे मेसेज के बाद सक्रिय हुए आयोग ने स्पष्ट किया कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को सीधे नहीं लिया जा सकता गोद. ऐसा करने पर 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माना भुगतना पड़ सकता है. 

कोरोना संक्रमण के कारण देश में कई जगह परिवार के परिवार उजड़ रहे हैं. देखने में आ रहा है कि कहीं एक ही परिवार में माता-पिता का व अन्य परिजन जी कोरोना भेंट चढ़ गए. जिससे कि बच्चे अनाथ हो गए. अनाथ बच्चों (Orphaned children) को गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर कई प्रकार के मैसेज चलते हुए देखे गए. उसके बाद राष्ट्रीय बाल आयोग (National Children Commission) ने वर्चुअल रुप से बैठक बुलाई. बैठक में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल (Sangeeta Beniwal) भी शामिल हुई. बैठक में प्रमुख रूप से महामारी से अनाथ मुझे बच्चों को गोद लेने संबंधी वायरल हो रहे मैसेज पर चर्चा कर चिंता जाहिर की गई. 

राज्य बाल आयोग ने जारी की सूचना देने की अपील
इसके बाद राज्य बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की ओर से लोगों से अपील की गई थी कुमारी के दौरान अनाथ बच्चों की सूचना चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, जिला बाल संरक्षण इकाई, स्थानीय पुलिस, बाल अधिकार आयोग के व्हाट्सएप नंबर 7733870243 पर देने की अपील की है. 

कानून में है सजा का प्रावधान
आयोग अध्यक्ष बेनीवाल ने बताया कि राजस्थान किशोर अधिनियम 2015 की धारा 81 में बच्चों को लेकर स्पष्ट प्रावधान है. इसके अनुसार बच्चों को खरीदने बेचने पर 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे में सजा व जुर्माने से बचने के लिए लोगों को तुरंत अनाथ बच्चों की सूचना पुलिस व अन्य संस्थाओं को देनी चाहिए. सोशल मीडिया पर बच्चों की गोपनीयता को भंग करना भी कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे में अनाथ बच्चों की गोपनीयता छुपा कर रखनी चाहिए. 

बच्चों को गोद देने का एक निश्चित प्रक्रिया है
आयोग अध्यक्ष दामिनी वालों ने बताया कि अनाथ बच्चों को गोद देने की एक निश्चित प्रक्रिया है. कानून के अनुसार बच्चों को बाल कल्याण समिति के माध्यम से उचित प्रक्रिया अपनाई जाकर गोद दिया जाता है. इससे पहले बच्चों की पहचान उजागर करना है उन्हें को देना है किशोर अधिनियम 2015 का उल्लंघन है.

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