Uttar Pradesh

अगले 6 महीने तक सरकारी कर्मचारी नहीं कर सकेंगे हड़ताल, यूपी में लागू हुआ ‘एस्मा’

यूपी में कोरोना महामारी का खतरा अभी भी बरकररार है ऐसे में कर्मचारियों को अब 6 महीने तक हड़ताल की अनुमति नहीं होगी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में किसी भी विभाग के सरकारी कर्मचारी अब छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे. यूपी की योगी सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट के तहत (एस्मा) लगा दिया है. एस्मा लगाए जाने के बाद अब सरकारी कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे. सरकार ने आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत एस्मा लगाया है. राज्यपाल ने इसकी मंजूरी भी दे दी है.

कई विभाग कर रहे थे हड़ताल की तैयारी
यूपी में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच सरकारी विभाग के कर्मचारियों की ओर से लगातार की जा रही हड़तालों को देखते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है. एस्मा लागू होने के बाद यूपी सरकार के अधीन सभी लोक सेवा, निगम, प्राधिकरण समेत सभी सरकारी विभागों पर ये आदेश लागू हो गया है. बताया जा रहा है कि कई विभाग अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे थे. 

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की भी मंजूरी 
आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत यूपी सरकार की ओर से लागू किए गए एस्मा एक्ट को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की भी मंजूरी मिल गई, जिसके बाद गुरुवार को इसे लागू किया गया. अगले 6 माह तक किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से हड़ताल नहीं की जा सकेगी. 

उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई
यदि किसी सरकारी कर्मचारियों की ओर से इस एक्ट का उल्लंघन किया जाता है तो सरकार की ओर से उन हड़तालियों को बिना वारंट के गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इस दौरान अति आवश्यक कर्मचारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना होगा. आदेशों का उल्लंघन करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

क्या है एस्मा? (Essential Services Management Act)
एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है.

संकट की घड़ी में कर्मचारियों के हड़ताल को रोकने के लिए ये कानून बनाया गया था. इस कानून के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनका ये कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है. एस्मा लागू करने से पहले कर्मचारियों को समाचार पत्रों तथा अन्य माध्यमों से इसके बारे में सूचित किया जाता है. 

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