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Bihar News : कोसी इलाके के लिए ‘गेम चेंजर’ डागमारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, बाढ़ से राहत के साथ-साथ रोशन होंगे घर

बिहार का कोसी इलाका बाढ़ के लिए ‘कुख्यात’ है। नेपाल के रास्ते आनेवाला बरसात का पानी सीमांचल इलाके में तबाही मचाता है। मगर अब उसी पानी का इस्तेमाल डागमारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के जरिए बिजली उत्पादन में किया जाएगा। पूरे प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई।

हाइलाइट्स:

  • सुपौल में बननेवाला डागमारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट मंजूर
  • प्रोजेक्ट पर 2 हजार 400 रुपए खर्च करेगी बिहार सरकार
  • कोसी नदी पर भपटियाही गांव में बनेगा डागमारा प्रोजेक्ट
  • सीमांचल इलाके में आनेवाले बाढ़ से भी राहत की उम्मीद

सुपौल
कोसी बराज से नीचे और कोसी महासेतु से थोड़ा ऊपर डागमारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनेगा। 130 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का यह प्रोजेक्ट होगा। यह मल्टीपरपज हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है। इसकी लागत 2 हजार 400 करोड़ रुपए है। डागमारा प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद बिहार में ऊर्जा के मद होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।

कहां पर लगाया जाएगा डागमारा प्रोजेक्ट?

प्रोजेक्ट को कोसी के बाएं तटबंध पर स्थित भपटियाही गांव में लगाया जाना है। भीमनगर बराज के डाउन स्ट्रीम से यह 31 किलोमीटर पर है। यह परियोजना 2006-07 से अलग-अलग स्तरों पर अटकी पड़ी थी। वर्ष 2006-07 में ही इसे शुरुआती अनुमति मिल गई थी। मगर नेपाल से परमिशन नहीं रहने की वजह से मामला अटक गया था। पिछले दिनों एनएचपीसी (National Hydroelectric Power Corporation) की टीम ने डागमारा पन बिजली परियोजना का स्थल निरीक्षण किया था। उसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सहमति बनी थी। इसमें पनबिजली के साथ-साथ सौर ऊर्जा और मछली उत्पादन को भी शामिल किया गया है।

पांच दशक पहले प्रोजेक्ट के बारे में सोचा गया था
डागमारा पनबिजली परियोजना का बिहार के लिए महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि पांच दशक पहले 1971 में इसके बारे में सोचा गया था। राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग की कमेटी ने जल विद्युत परियोजनाओं की संभावना को बराज से जोड़ा था। इसके बाद साढ़े तीन दशक तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। 2007 में एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इस प्रोजेक्ट में अपनी रूचि दिखाई थी। इसके बाद डीपीआर बनाए जाने का काम केन्द्रीय जल संसाधन विभाग की एजेंसी वैपकास को दिया गया, मगर इस पर सहमति नहीं बनी। डागमारा पनबिजली परियोजना का डीपीआर दिसंबर 2011 में ही केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को सौंपा गया था। इस प्रोजेक्ट पर केंद्र के जल संसाधन मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग की सैद्धांतिक सहमति भी तब मिल चुकी थी। वहीं, 25 अप्रैल 2012 में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के स्तर पर परियोजना की तकनीकी स्वीकृति के लिए अंतर मंत्रालयी समिति में विस्तार से चर्चा हुई थी। तब यह सहमति बनी थी कि आगे के काम के लिए बढ़ा जाए।

डागमारा प्रोजेक्ट से बिहार के सात जिलों को फायदा
लगभग पांच दशक के इंतजार के बाद बिहार कैबिनेट ने बहुउद्देशीय डागमारा पनबिजली परियोजना को मंजूरी दे दी है। इसस पहले अप्रैल में केंद्र सरकार ने भी प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की थी। सुपौल जिले में स्थापित होने वाली इस परियोजना से 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। कोसी नदी पर बननेवाले इस पनबिजली परियोजना से क्षेत्र के सात जिलों को न सिर्फ रोशन किया जाएगा, बल्कि हर साल नदी में आनेवाली बाढ़ की समस्या से भी लोगों को राहत मिलेगी। कोसी नदी के पानी का इस्तेमाल इस पनबिजली परियोजना के लिए किया जाएगा। इस परियोजना के पूरे होने के बाद सुपौल सहित सात जिलों को लाभ होगा। इनमें दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा और अररिया शामिल हैं।

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