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सरकार का बड़ा फैसला! RBI के अधीन सहकारी बैंक, जमाकर्ताओं का पैसा अब कितना सेफ

Cooperative banks under RBI supervision: देश में संचालित कोऑपरेटिव यानी सहकारी बैंकों पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सभी सहकारी और मल्टी स्टेट सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक (RBI) की निगरानी के दायरे में लाने का फैसला किया है. सरकार का मकसद इन बैंकों में जमाकर्ताओं को उनके पैसों को लेकर सुरक्षा उपलब्ध कराना है.

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कॉमर्शियल बैंकों की तरह अब आरबीआई सहकारी और मल्टी स्टेट सहकारी बैंकों की भी निगरानी करेगा. निगरानी की जो प्रक्रिया कॉमर्शियल बैंकों के लिए है, वहीं सहकारी बैंकों पर भी लागू होगी.

जावड़ेकर ने बताया कि इस फैसले से जमाकर्ताओं को यह भरोसा रहेगा कि उनका पैसा सुरक्षित है. सहकारी बैंकों को आरबीआई के निगरानी में लाने के लिए अध्यादेश का फैसला किया गया है. बता दें, नियमों में बदलाव के बाद भी सहकारी बैंकों के प्रबंधन का जिम्मा रजिस्ट्रार के पास ही रहेगा. यह बदलाव बैंकों की वित्तीय मजबूती के लिए किया गया है और इन बैंकों में सीईओ की नियुक्ति के लिए जरूरी अहर्ता की स्वीकृति भी आरबीआई से लेनी होगी.

1540 सहकारी बैंक RBI के अधीन आएंगे

जावड़ेकर ने बताया कि इस फैसले से देशभर में 1540 सहकारी बैंक आरबीआई के अधीन आएंगे. इनमें 8.60 करोड़ से अधिक खाताधारकों के के जमा 4.84 लाख करोड़ रुपये सुरक्षित रहेंगे. सहकारी बैंकों का नियमन अब आरबीआई के नियमानुसार किया जाएगा. इनका ऑडिट भी आरबीआई नियमों के तहत होगा. अगर कोई बैंक वित्तीय संकट में फंसता है, तो उसके बोर्ड पर निगरानी भी आरबीआई ही रखेगा.

माना जा रहा है कि मल्टी स्टेट पंजाब एंड महाराष्ट्र (PMC) कोऑपरेटिव बैंकों में घोटाले के बाद जमाकर्ताओं के सामने आई दिक्कतों के बाद सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है.  इससे पहले कैबिनेट ने बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस संशोधन का मकसद सहकारी बैंकों मजबूत बनाने और पीएमसी बैंक जैसे संकट को टालने में मदद मिलेगी.

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