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महंगाई काबू करने के लिए फिर ब्याज दरें घटा सकता है RBI, लोन रिस्ट्रक्चरिंग की भी मांग

मुंबई. कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था में​ उत्पन्न हुए संकट से उबारने की दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) एक बार फिर रेपो रेट (Repo Rate) में 25 आधार अंक (0.25 फीसदी) की कटौती का ऐलान कर सकता है. RBI की आगामी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति (Monetary Policy) समीक्षा बैठक 4 अगस्त को शुरू होगी और 6 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) इस बारे में जानकारी देंगे. अर्थव्यवस्था में मौजूदा संकट के बीच आरबीआई मौद्रिक नीति सदस्य महंगाई को काबू में करने के लिए यह फैसला ले सकते हैं. न्यूज एजेंसी PTI ने एक्सपर्ट्स के हवाले से रेपो रेट में कटौती के बारे में उम्मीद जताई है. जिस दर पर आरबीआई कॉ​मर्शियल बैंकों को कर्ज देता है, उस दर को रेपो रेट कहते हैं.

मार्च से अब तक 1.15 फीसदी घटा रेपो रेट
भारत में कोरोना वायरस आउटब्रेक के बाद से लगे लॉकडाउन और फिर अनलॉक प्रक्रिया के बीच आरबीआई तत्परता से जरूरी कदम उठा रहा है, ताकि अर्थव्यवस्था में सुधार आ सके. मौजूदा महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और विभिन्न एजेंसियों द्वारा आर्थिक अनुमान के आंकड़ों को भी बार-बार रिवाइज कर कम किया गया है. मार्च और फिर मई की मौद्रिक नीति बैठक में आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों (Policy Rates) में कुल मिलाकर 115 आधार अंक यानी 1.15 फीसदी की कटौती किया है.

मुद्रास्फिति को काबू में करने का संकट

मीट, मछली, अनाज और दालों की कीमतों में इजाफा होने की वजह से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI – Consumer Price Index) के आधार पर खुदरा मुद्रास्फिति (Retail Inflation) जून में बढ़कर 6.09 फीसदी पर पहुंच गई है. सरकार ने आरबीआई से महंगाई दर 4 फीसदी (+,- 2%) के करीब रखने को कहा था. आमतौर पर किसी भी मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक CPI पर विशेष तौर पर फोकस रखता है.

क्या है जानकारों की राय
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट अदिति नय्यर ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि रेपो रेट में आगे 25 आधार अंक और रिवर्स रेपो रेट में 35 आधार अंक की कटौती होगी.’ इसी प्रकार की बात रखते हुए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और CEO राजकिरण राय ने कहा, ‘संभव है कि रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की जाए या फिर इस बैठक में इसपर कोई फैसला ही न लिया जाए.’ अदिति ने आगे कहा कि लॉकडाउन के तीन महीनों के दौरान भले ही कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आरबीआई के 2-6 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा रहा, लेकिन अगस्त 2020 तक यह इस रेंज में आ जाएगा.

एसोचैम का कहना- रिस्ट्रक्चरिंग पर फोकस करे आरबीआई
हालांकि, इंडस्ट्री चैंबर ASSOCHAM चाहता है कि RBI लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर फोकस करे ताकि इंडस्ट्रीज को मौजूदा चुनौती से उबारा जा सके. एसोचैम के जनरल सेक्रेटरी दीपक सूद का कहना है, ‘सभी सेक्टर्स की इंडस्ट्रीज को तत्काल रूप से लोन रिस्ट्रक्चरिंग की जरूरत है, ताकि बड़े स्तर के डिफॉल्ट से बचा जा सके. आरबीआई के हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि लेनदारों और बैंकों के लिए लोन रिस्ट्रक्चरिंग बेहद जरूरी है. मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में सबसे ज्यादा वरीयता लोन रिस्ट्रक्चरिंग को ही देने की जरूरत है.’

ब्याज दरों में कटौती से खास लाभ नहीं
एक सरकारी बैंक के अधिकारी का कहना है कि फिलहाल सिस्टम में पर्याप्त तरलता है और दरों में कटौती का लाभ दिया जा रहा है. ऐसे में इस समय में ब्याज दरों में कटौती का कुछ खास लाभ नहीं मिलेगा. कोवडि-19 से पहले ही मौद्रिक नीति ‘उदार’ मोड में था. फरवरी 2019 से लेकर महामारी की शुरुआत तक इसमें पहले ही 135 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी थी.

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