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त्योहारों पर हवाई सफर करने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी! सरकार ने किराए को लेकर दिया नया आदेश

नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने हवाई यात्रा के किराये (Air Fare) को लेकर जारी किए अपने पिछले आदेश में बदलाव कर दिया है. दरअसल, केंद्र ने मई 2020 में हवाई यात्रा के लिए इकोनॉमी क्लास की सीटों की लोअर फेयर लिमिट (Lower Fare Limit) तय की थी. अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने प्रीमियम इकोनॉमी क्लास (Premium Economy Class) सीटों के लिए भी लोअर फेयर लिमिट को लागू करने का फैसला किया है.

प्रीमियम इकोनॉमी क्‍लास की सीट्स पर लागू नहीं होगी ये अपर फेयर लिमिट
सिविल एविएशन मिनिस्‍ट्री ने कहा कि इकोनॉमी क्लास सीटों के लिए सरकार की ओर से तय अपर फेयर लिमिट (Upper Fare Limit) प्रीमियम इकोनॉमी क्लास सीट्स पर लागू नहीं होगी. मंत्रालय ने 21 मई को सात बैंड के जरिये घरेलू हवाई यात्रा (Domestic Flights) के किराये पर लोअर और अपर लिमिट तय की थी. ये सात बैंड फ्लाइट की अवधि (Flight Duration) के आधार पर तय किए गए थे. ये बैंड 24 अगस्त तक लागू थे. बाद में समयावधि बढ़ाकर इन्हें 24 नवंबर तक लागू कर दिया गया. बता दें कि लॉकडाउन में ढील के बाद देश में 25 मई से घरेलू हवाई यात्रा फिर शुरू कर दी गई थी.

इंडियन कंपनियों में विस्‍तारा एयरलाइंस के पास हैं प्रीमियम इकोनॉमी क्‍लास सीट

इंडियन एयरलाइंस कंपनियों (Indian Airlines Companies) में विस्तारा की फ्लाइट्स में प्रीमियम इकोनॉमी क्लास सीट्स हैं. मंत्रालय ने 21 मई के आदेश में बदलाव करते हुए कहा है कि लोअर फेयर बैंड प्रीमियम इकोनॉमी क्लास की सीटों पर लागू होगा. हवाई किराये के सात बैंड (Bands) में पहला बैंड उन फ्लाइट्स के लिए है, जिनकी अवधि 40 मिनट से कम है. दूसरे, तीसरे, चौथे बैंड में 40-60 मिनट, 60-90 मिनट, 90-120 मिनट और 120-150 मिनट वाली फ्लाइट्स शामिल हैं. वहीं, छठें और सातवें बैंड में 150-180 तथा 180-210 मिनट की फ्लाइट ड्यूरेशन को रखा गया है.

40 फीसदी सीटें लोअर-अपर फेयर के बीच के अमाउंट से कम पर बेचनी होंगी
आदेश के मुताबिक, इन हवाई किरायों में यूडीएफ (UDF), पीएसएफ (PSF) और जीएसटी (GST) शामिल नहीं है. मंत्रालय ने मई 2020 में ही स्पष्ट कर दिया था कि हर एयरलाइन कंपनी को फ्लाइट्स के लिए कम से कम 40 फीसदी सीटें लोअर और अपर एयर फेयर लिमिट के बीच के अमाउंट से कम पर बेचनी होंगी. आसान शब्‍दों में समझें तो किसी एयरलाइन के लिए लोअर एयर फेयर 3,500 और अपर एयर फेयर 10,000 रुपये के बीच का स्तर 6,700 रुपये है. इसलिए उस एयरलाइंस को 40 फीसदी सीटें 6,700 रुपये से कम के किराये पर बेचनी होंगी.

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