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Cabinet: किसानों के लिए सरकार का बड़ा फैसला, चावल, गेहूं, मक्का से भी बनेगा इथेनॉल

Cabinet Decision for farmers: अब गन्ने के साथ ही दूसरे अनाजों जैसे चावल, गेहूं और मक्का से भी इथेनॉल बनाने की मंजूरी मिल गई है. कैबिनेट के इस एक बड़े फैसले से कई फायदे होंगे. ये कदम भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा साथ ही किसानों के लिए भी फायदेमंद है.

नई दिल्ली: Cabinet: सरकार ने किसानों की आमदनी (Farmer’s Income) बढ़ाने वाला एक और बड़ा फैसला लिया है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PN Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) की बैठक में इथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) पर ब्याज सब्सिडी (interest subvention) बढ़ाने को मंजूरी दे दी गई है. सरकार इथेनॉल उत्पादन करने वाली नई कंपनियों को 4,573 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी देगी. 

अनाज से तैयार होगा इथेनॉल

आपको बता दें कि इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल (Alcohol) है जिसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में ईंधन की तरह किया जाता है. इथेनॉल का उत्पादन अभी गन्ने से होता है. लेकिन अब अनाज से भी इथेनॉल को तैयार किया जाएगा. कैबिनेट ने अनाजों से इथेनॉल बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी. यानी अब गन्ने के अलावा चावल, मक्का, गेहूं से भी इथेनॉल बनाया जा सकेगा. जिससे भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके. 

इथेनॉल की डिमांड आगे बढ़ेगी 

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के का कहना है कि 2030 तक पेट्रोल में मिलाने के लिए देश को 1000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी, दूसरे देशों से इंपोर्ट पर निर्भरता कम कर दी जाए तो भारत की अभी मौजूदा क्षमता 684 करोड़ लीटर ही है. साल 2013-14 में भारत ने 1500 करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा था. अभी 9,169 करोड़ का खरीद रहे हैं. आगे चलकर 19 हजार करोड़ रुपये की खरीद करेंगे. जिसका फायदा किसानों को मिलेगा.

किसानों को होगा फायदा

सरकार के इस फैसले से देश के किसानों का बड़ा फायदा होने की उम्मीद है. क्योंकि उन्हें धान बेचने का नया विकल्प मिलेगा. भारत चावल का एक्सपोर्टर है. जबकि पेट्रोलियम का इंपोर्टर है. ऐसे में चावल से इथेनॉल बनाकर पेट्रोलियम आयात में कमी की जा सकेगी. 

किसानों को समय से मिलेगा भुगतान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कैबिनेट के फैसले के बारे में बताया कि कृषि उपजों से तैयार होने वाले इथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलेशन क्षमता में बढ़ोतरी की संशोधित योजना को मंजूरी दी गई है. इससे नए रोजगार पैदा होंगे और किसानों को समय से भुगतान मिलेगा. 

इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने का फायदा

इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने का फायदा यह होगा कि पेट्रोलियम पदार्थों के आयात का बोझ कम होगा. भारत घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख करोड़ रुपए का पेट्रोल-डीजल आयात करते हैं. पेट्रोल और डीजल में इथेनॉल मिलाने से कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी.

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ 10 परसेंट इथेनॉल मिलाने का और 2030 तक 20 परसेंट मिलाने का लक्ष्य तय किया है. सरकार के फैसले से अब गन्ने के अलावा अनाज जैसे चावल, गेहूं, मक्का से इथेनॉल का उत्पादन होगा.

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