Madhya Pradesh

कमलनाथ पर FIR से कांग्रेस हमलावर:शिवराज पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने की मांग; कहा- दवाई, इंजेक्शन के लिए भटक रहे मरीज, CM को चिंता ही नहीं

कमलनाथ पर मामला दर्ज होने के बाद अब कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला किया है। भोपाल के साथ प्रदेशभर में कांग्रेस ने पुलिस को ज्ञापन देकर शिवराज सिंह के खिलाफ शिकायत की है। भोपाल में कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायकों ने सोमवार को क्राइम ब्रांच भोपाल में मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत की। शिवराज सिंह पर धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करनेे की मांग की गई।

एक दिन पहले ही प्रदेशभर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने इंडियन कोरोना वाले बयान पर कमलनाथ के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। इसके बाद देर रात कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। दूसरे दिन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, होशंगाबाद, कटनी, सागर, उज्जैन, मुरैना, खंडवा, गुना समेत प्रदेश के अन्य जिलों में कांग्रेस एकजुट हो गई है। प्रदेशभर में कांग्रेसियों ने पुलिस को शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ शिकायत की है। साथ ही, कमलनाथ पर दर्ज केस वापस लेने की मांग की है। इंदौर में पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, जीतू पटवारी के नेतृत्व में एसपी से श्ज्ञिकायत की गई। यहां सीएम का पुतला भी जलाया गया।

शिकायत में कहा गया है- आम लोगों से सच छिपाया जा रहा है। वर्ष 2021 के प्रारंभिक दौर में जैसे ही कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश में पैर पसारना शुरू किए थे। शुरुआती दौर में स्थिति इतनी भयावह नहीं थी। दूसरी लहर आने के बाद शिवराज उपेक्षापूर्ण व्यवहार करते रहे हैं।

उनके इशारे पर कोरोना पीड़ितों की संख्या को छिपाया गया है। यहां तक कि श्मशान घाट व कब्रिस्तानों में हुए दाह संस्कारों की संख्या हजारों में रही, लेकिन इसे छिपाया जा रहा है। लोगों से सच छिपाने के लिए शिवराज के ऊपर धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।

इलाज की भी व्यवस्था नहीं की

प्रदेश में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। भोपाल में ब्लैक फंगस के सैंकड़ों मरीज दवाई और इंजेक्शन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं और कईं लोगों की मौत हो चुकी है। जिसके लिए सीधे-सीधे शिवराज जिम्मेदार हैं। समाचार पत्रों, सोशल मीडिया और वैज्ञानिकों द्वारा बराबर संदेश दिए जा रहे थे कि स्थिति भयानक होने वाली है, परंतु मुख्यमंत्री ने अपनी हट धर्मिता के चलते किसी भी तरह की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की। लगातार कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को प्रदेश वासियों से छिपाते रहे फलस्वरूप मध्यप्रदेश में कोरोना से होने वाली मृत्यु का तांडव पूरे प्रदेश में बढ़ता गया।

उज्जैन में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं

जिला कांग्रेस कमेटी के आव्हान पर सोमवार को फ्रीगंज टावर चौक पर अंबेडकर मूर्ति के नीचे करीब 50 से अधिक कांग्रेसी धरने पर बैठ गए। सभी ने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नारेबाजी की। जिला कांग्रेस कमेटी ने शिवराज सिंह पर केस दर्ज करने की मांग को लेकर 11 बजे धरना शरू किया। इस दौरान तराना से विधायक महेश परमार, घट्टिया विधायक रामलाल मालवीय, जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता नूरी खान समेत कई कांग्रेस के स्थानीय नेता मौजूद रहे। खास बात यह रही कि कांग्रेसियों ने इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई गईं। सोशल डिस्टेंसिंग दिखाई नहीं दी।

अरुण यादव ने भी किया विरोध

शिवराज ने कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया

शिवराज ने इस कोविड काल को गंभीरता से नहीं लिया। इसी कारण कोविड से पीड़ित मरीजों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन नहीं मिल पाया। इस खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण मौतों का आंकड़ा बढ़ता गया और सरकार आकड़ों को छिपाती रही। जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए मुख्यमंत्री दोषी हैं। इन पर गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज होना चाहिए।

गुना में पूर्व मंत्री व राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह के साथ कुछ कांग्रेसियों ने एसपी ऑफिस पहुंचकर एसपी को आवेदन दिया। इसमें सीएम, स्वास्थ्य मंत्री व जिले के कोविड प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया पर एफआईआर की मांग की है।

गुना में पूर्व मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने एसपी को ज्ञापन दिया।

जबलपुर में कांग्रेस के नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने बताया कि एसपी को इस मामले में ज्ञापन साैंपने के लिए अनुमति मांगी गई है। लॉकडाउन की गाइडलाइन का हवाला दिया है।

ग्वालियर में युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैवरन कंसाना के नेतृत्व में 1 घंटे तक शांतिपूर्ण धरना दिया गया।

ग्वालियर में कांग्रेसियों ने शांतिपूर्ण धरना दिया।

कटनी के कोतवाली थाने में कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और मौत के आंकड़े छिपाने की धारा के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कोविडकाल को गंभीरता से नहीं लिया। इसी कारण कोविड से पीडि़त मरीजों को अस्पतालों में बेड, आक्सीजन, इंजेक्शन नहीं मिल पाया। खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण मौतों का आकड़ा बढ़ता गया और सराकर मौतों के आंकड़ों को छिपाती रही।

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