Chhattisgarh

छत्तीसगढ़: हाथी रिजर्व क्षेत्र में कोल माइंस की मंजूरी, सिर्फ कागजों में वन्य जीवों की चिंता!

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लुप्तप्राय वन्य जीव हाथी की चिंता महज कागजों में की जाती है. प्रदेश के वन इतने समृद्ध हैं कि हाथी से लेकर दर्जनों वन्य जीव यहां के जंगलो में सुरक्षित हैं.

रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लुप्तप्राय वन्य जीव हाथी की चिंता महज कागजों में की जाती है. प्रदेश के वन इतने समृद्ध हैं कि हाथी से लेकर दर्जनों वन्य जीव यहां के जंगलो में सुरक्षित हैं, मगर 43 फिसदी वनों से घिरा छत्तीसगढ़ के जंगल अब कारखाना, माइंस की वजह से कम होता जा रहा है. हाथी रिजर्व क्षेत्र के लिए 8 गांव के ग्रामीणों ने जिन क्षेत्र को हाथी रिजर्व के लिए सहमति दी उस क्षेत्र में अब कोल माइंस की अनुमति दे दी गई है.

कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर सहित 11 जिले ऐसे हैं, जहां के जंगलों में हमेशा 250 से अधीक हाथी विचरण करते हैं. ओडिशा, झारखण्ड, सहित कई राज्यों के हाथी यहां आतें हैं. इन्हीं जीवों को सुरक्षित करने 2007 से लेमरु हाथी रिजर्व क्षेत्र की योजना अटकी हुई थी. प्रदेश में सरकार बदलते ही इसे अमलीजाम पहनाया गया. मगर 1995 वर्ग किलो मीटर के इस जंगल में राजस्थान विद्युत उत्पानद निगम को कोल माइंस की अनुमति दे दी गई है. हाथी रिजर्व के लिए तारा, हरिहरपुर, साल्ही, फतेहपुर, जनार्दनपुर सहित आठ गांव के लोगों ने सहमति दी थी. पहले इसकी अनुमति केन्द्रीय पर्यावरण वन एव जलवायु परिवर्तन  मंत्रालय ने परियोजना को अनुमति दे दी है.

ग्रामीणों ने की विशेष सभा

पर्यावरण प्रेमी मामले को लेकर पहले भी ट्यूबनल जा चुके हैं. अभी मामले में फैसला नहीं आया है. लेमरु हाथी रिजर्व क्षेत्र के लिए 2 अक्टूबर को एक विशेष ग्राम सभा बुलाया गया था. जिस पर सभी गांव वालों ने सहमति भी दे दी है. सरगुजा से 39,सूरजपुर के 8 गांवो भी इसमें शामिल है. 1252 एकड़ पर खुली खदान और कोल वॉशरी की अनुमति दी गई है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को इसकी अनुमति मिल गई है. साढ़े आठ सौ एकड़ पर फैला यहां का घना जंगल भी है. अनुमति मिलनें के बाद हसदेव बचाओ संघर्ष समिति और स्थानी वनवासियों को विरोध तेज हो गया है. इस पुरे मामले में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 1995 वर्ग किलो मटर का प्रस्तावित है. 452 वर्ग किलो मीटर का था, जिसे बढ़ाया गया है.

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