Jharkhand

झारखंड के विद्यार्थी अब विवि में साइंस के साथ आर्ट्स की भी कर सकेंगे पढ़ाई, यूजीसी ने जारी की अधिसूचना

double degree courses in jharkhand university रांची : सभी विवि और कॉलेजों में अब मल्टीडिसीप्लिनरी (बहु विषयक) और होलेस्टिक (समग्र) ( Holistic and Multidisciplinary Education In Jharkhand ) एजुकेशन पद्धति लागू होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. सभी विवि के कुलपतियों को पत्र भेज कर इसे शीघ्र लागू करने का निर्देश दिया गया है. इस पद्धति के लागू होने से अब विवि और कॉलेजों में विद्यार्थी साइंस के साथ आर्ट्स या कॉमर्स के विषय भी पढ़ सकेंगे. कोर विषय के साथ विद्यार्थी स्किल्स से जुड़े विषय को भी रख कर भी योग्यता बढ़ा सकेंगे.

झारखंड में शिक्षकों की कमी का संकट :

झारखंड के सभी विवि में आधारभूत संरचना के साथ-साथ शिक्षकों की कमी इस पद्धति को प्रभावित कर सकती है. इसके लिए सभी कॉलेजों और स्नातकोत्तर विभागों के सभी विषयों में पर्याप्त शिक्षकों की आवश्यकता होगी. इसी प्रकार क्लास रूम की संख्या भी बढ़ानी होगी.

बहुविषयक शिक्षा आवश्यक

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो डीपी सिंह ने कुलपति को भेजे पत्र में कहा है कि ज्ञान की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए बहु विषयक शिक्षा आवश्यक है. इससे विद्यार्थी की बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक अौर नैतिक क्षमता विकसित होगी.

इस पद्धति के लागू होने से स्नातक में अगर किसी विद्यार्थी ने विज्ञान के किसी विषय को कोर विषय में शामिल किया है, तो वह उसी समय कला के किसी विषय या फिर वोकेशनल या पेशेवर विषय को भी साथ में रखकर पढ़ाई पूरी कर सकता है. अध्यक्ष ने विवि से कहा है कि वह इसे अपने यहां लागू कर यूजीसी द्वारा संचालित यूनिवर्सिटी मॉनिटरिंग पोर्टल में जानकारी दें.

कोर विषय के साथ विद्यार्थी स्किल्स से जुड़े विषय को भी रखकर योग्यता बढ़ा सकेंगे

विवि नयी पद्धति को लागू कर यूजीसी के यूनिवर्सिटी मॉनिटरिंग पोर्टल में जानकारी देंगे

विद्यार्थियों का नॉलेज तो बढ़ेगा, सुविधाएं भी बढ़ानी होंगी

डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ एसएन मुंडा ने कहा कि विवि और कॉलेजों में मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन पद्धति लागू करना अच्छी पहल है. इससे विद्यार्थियों का नॉलेज बढ़ेगा. अब जॉब में भी मल्टीटैलेंटेड उम्मीदवार की ज्यादा पूछ होती है. ऐसे में यह पद्धति बहुत कारगर होगी. इसमें मुख्य विषय से मिलता-जुलता विषय ही ज्यादा कारगर होगा. इसे लागू करने के लिए सभी विवि में सुविधाएं बढ़ानी होंगी. शिक्षकों की कमी दूर करनी होगी.

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