Uttar Pradesh

UP: चुनाव की आहट के बीच मुजफ्फरनगर में किसानों की महारैली का ऐलान, लखनऊ का करेंगे घेराव

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) की आहट के साथ ही सूबे में किसान आंदोलन तेज करने का ऐलान किया गया है.

लखनऊ: किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) दिल्ली की तरह ही अब लखनऊ की भी घेराबंदी करेंगे. आज लखनऊ में संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि अब यूपी और उत्तराखंड में भी मिशन के तहत किसान आंदोलन चलेगा और जिस तरह दिल्ली में सड़कों को बंद किया गया था वैसे ही अब लखनऊ में भी होगा. जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती तब तक ये आंदोलन चलता रहेगा.

मुजफ्फरनगर में किसानों की महारैली

केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ आठ महीने से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है. मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन के लिए चार चरणों की रणनीति बनाई है. किसान नेताओं ने दिल्‍ली की तरह लखनऊ को भी चारों तरफ से घेरने की चेतावनी दी है.

यूपी की राजधानी में हुई आगे की चर्चा

लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait), जय किसान आंदोलन के प्रोफेसर योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav), राष्‍ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के शिवकुमार कक्का जी, जगजीत सिंह दल्‍लेवाल और डॉक्टर आशीष मित्तल समेत कई नेताओं ने सत्‍तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगी दलों के कार्यक्रमों का विरोध और उनके नेताओं का बहिष्कार करने के ऐलान के साथ आंदोलन के अगले कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की.

‘लखनऊ को भी दिल्‍ली की तरह बनाया जाएगा’

राकेश टिकैत ने कहा, ‘अब लखनऊ को भी दिल्‍ली की तरह बनाया जाएगा और जिस तरह दिल्‍ली में चारों तरफ के रास्‍ते सील हैं, ऐसे ही लखनऊ के चारों तरफ के रास्‍ते किसानों द्वारा सील किये जाएंगे. हम इसकी तैयारी करेंगे.’ टिकैत ने कहा, ‘तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने और न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहा ऐतिहासिक किसान आंदोलन आठ माह पूरे कर चुका है. इन आठ महीनों में किसानों के आत्मसम्मान और एकता का प्रतीक बना यह आंदोलन अब किसान ही नहीं देश के सभी संघर्षशील वर्गों का लोकतंत्र बचाने और देश बचाने का आंदोलन बन चुका है.’

और तेज होगा आंदोलन

किसान नेताओं ने कहा कि अब आंदोलन को और तेज, सघन और असरदार बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन के अगले पड़ाव के रूप में मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से शुरू करने का फैसला किया है. नेताओं ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन की धार तेज होगी और इस मिशन का उद्देश्य होगा कि पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी हर गांव किसान आंदोलन का दुर्ग बने, कोने – कोने में किसान पर हमलावर कॉर्पोरेट सत्ता के प्रतीकों को चुनौती दी जाए.

पूरे उत्तर प्रदेश में चलेगा बैठकों का दौर

टिकैत ने कहा कि आज भारतीय खेती और किसानों को कॉर्पोरेट और उनके राजनीतिक दलालों से बचाना है. किसान नेताओं ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सभी टोल प्लाजा को फ्री करने की मांग की. उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि पूंजीपतियों के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएं और भाजपा व उसके सहयोगी दलों के कार्यक्रमों का विरोध और उनके नेताओं का बहिष्कार किया जाए. उन्होंने बताया कि इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में बैठकों, यात्राओं और रैलियों का सिलसिला शुरू किया जाएगा.

चार चरणों में बांटा आंदोलन

संयुक्त किसान मोर्चा ने चार चरणों में आंदोलन को बांटा है जिसके तहत पहले चरण में राज्यों में आंदोलन में सक्रिय संगठनों के साथ संपर्क और समन्‍वय स्‍थापित किया जाएगा और दूसरे चरण मे मंडलवार किसान कन्वेंशन और जिलेवार तैयारी बैठक होगी. तीसरे चरण में पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में देश भर से किसानों की ऐतिहासिक महापंचायत आयोजित की जाएगी और चौथे चरण में सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी फैसला किया है कि इस मिशन के तहत राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ किसानों के स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे.

(भाषा के इनपुट के साथ)

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